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Rajasthan Politics : सचिन पायलट के दम पर जीतने वाले रघु शर्मा आज उनके विरोधी कैसे हो गए ?

savan meena

Rajasthan Politics : 18 जून को राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और विधानसभा में भाजपा के उपनेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ के बीच सोशल मीडिया पर आरोप प्रत्यारोप का जो दौर चला, उसमें रघु शर्मा ने अपनी राजनीतिक उपलब्धियों में अजमेर से लोकसभा उपचुनाव में जीत को सबसे महत्वपूर्ण बताया है। राठौड़ के पांच चुनाव हारने के जवाब में रघु शर्मा ने कहा कि लोकसभा के उपचुनाव में अजमेर संसदीय क्षेत्र के सभी 8 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को हराया था।

Rajasthan Politics : इसमें कोई दो राय नहीं कि जनवरी 2018 में हुए उपचुनाव में रघु शर्मा करीब एक लाख मतों से जीते थे, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर तब चुनाव लड़ने का अवसर रघु को किसने दिया? अजमेर तो सचिन पायलट का ही संसदीय क्षेत्र था। पिछले दो चुनाव पायलट ने अजमेर से ही लड़े थे। जनवरी 2018 में भी पायलट ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। पायलट की सिफारिश से ही रघु को कांग्रेस का टिकट मिला। प्रचार के दौरान भी रघु ने अपना नेता पायलट को ही बताया।

पायलट ही रघु को दिल्ली में राहुल गांधी से मिलवाने ले गए थे

तब रघु शर्मा का नाम हारने वाले नेताओं में शामिल था, लेकिन पायलट ने पूरे संसदीय क्षेत्र में घूम घूमकर प्रचार किया और रघु को सांसद बनवाया। बाद में पायलट ही रघु को दिल्ली में राहुल गांधी से मिलवाने ले गए। अजमेर के अनेक लोगों ने वो दृश्य भी देखें हैं, जब प्रचार के दिनों में सचिन पायलट अजमेर के प्रमुख कारोबारी और कांग्रेसी नेता दीपक हसानी के कोटड़ा स्थित बंगले में निवास करते थे और रघु शर्मा बाहर इंतजार करते थे।

पायलट साहब की वजह से ही सांसद बने थे रघु शर्मा

पायलट से मिलने आने वाले सभी नेताओं से रघु शर्मा कहा करते थे कि वे सिर्फ पायलट साहब की वजह से ही सांसद बनेंगे। रघु शर्मा भले ही सांसद बने, लेकिन कांग्रेस आला कमान ने भी जीत का श्रेय पायलट को ही दिया। सांसद होने के कारण विधानसभा के चुनाव में रघु को केकड़ी से आसानी से टिकट मिल गया। रघु शर्मा माने या नहीं लेकिन यह सही है कि जनवरी 2018 में यदि पायलट उम्मीदवार नहीं बनाते तो आज रघु शर्मा प्रदेश के चिकित्सा मंत्री नहीं होते। चूंकि रघु शर्मा 2013 का चुनाव केकड़ी से हार चुके थे, इसलिए 2018 में दोबारा से उम्मीदवार बनना बहुत मुश्किल था।

विधानसभा का चुनाव सांसद रहते हुए लड़ा गया था

रघु शर्मा अब भले ही सचिन पायलट को राजनीतिक मात देने में लगे हुए हो, लेकिन चुनाव आयोग का रिकॉर्ड बताता है कि जनवरी 2018 में लोकसभा के उपचुनाव में रघु की केकड़ी से 35 हजार मतों की बढ़त थी, तो दिसम्बर 2018 के विधानसभा चुनाव में 20 हजार मतों की रह गई। जबकि विधानसभा का चुनाव सांसद रहते हुए लड़ा गया था। रघु शर्मा ट्विटर पर बताए कि विधानसभा चुनाव में ही केकड़ी में प्रभाव कम क्यों हो गया?

पंचायती राज के चुनावों में केकड़ी में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा

इतना ही नहीं गत वर्ष हुए पंचायती राज के चुनावों में केकड़ी में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा। अपने विधानसभा क्षेत्र में तीन पंचायत समितियां करवाने के बाद भी रघु को सफलता नहीं मिली। केकड़ी नगर पालिका में बड़ी मुश्किल से कांग्रेस का बोर्ड बन पाया है। चिकित्सा मंत्री बनने के बाद रघु ने केकड़ी में जो रुख अख्तियार किया है उससे दहशत का माहौल है। गुड़ की गजक बनाने वाले छोटे दुकानदार पर भी स्वास्थ्य विभाग ने छापामार कार्यवाही की है।

अशोक गहलोत जांच करवाएंगे तो स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर में सबसे ज्यादा छापे केकड़ी में मारे

यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जांच करवाएंगे तो स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर में सबसे ज्यादा छापे केकड़ी में मारे हैं। दहशत का ऐसा माहौल है कि भाजपा के नेता भी रघु के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने भाजपा नेताओं पर भी छापे की कार्यवाही की है। मौजूदा समय में केकड़ी में चारों तरफ रघु शर्मा की जय जयकार हो रही है। कई बार तो विरोध करने वालों को पुलिस का डंडा भी दिखा दिया जाता है।

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