<div class="paragraphs"><p>दिल्ली के अशोक होटल में हुई चर्चा।</p></div>

दिल्ली के अशोक होटल में हुई चर्चा।

 
Politics

अब जम्मू से होगी CM की घोषणा ? परिसीमन आयोग ने दिया 6 सीटें बढ़ाने का प्रपोजल, कश्मीर में भी 1 सीट का इजाफा

ChandraVeer Singh

चुनाव डेस्क. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन का काम चरम पर जारी है। परिसीमन आयोग की सोमवार को बैठक हुई, जिसमें जम्मू में छह और कश्मीर घाटी में एक और सीट बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया।

यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो जम्मू को राजनीतिक बढ़त मिलेगी और राज्य का सीएम तय करने में इस क्षेत्र की भूमिका अहम होना निश्चित है। पहले कश्मीर घाटी में सीटों की संख्या अधिक होने के कारण केवल उस क्षेत्र का ही दबदबा रहता था।

सोमवार को हुई इस बैठक में केंद्रीय मंत्री और सांसद जितेंद्र सिंह के अलावा बीजेपी के एक और सांसद जुगल किशोर भी शामिल हुए।

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले 37 सीटें जम्मू में, 46 कश्मीर में और 4 लद्दाख में थीं
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले, राज्य में कुल 87 सीटें थीं। इनमें से 37 सीटें जम्मू में, 46 कश्मीर में और 4 लद्दाख में थीं। ऐसे में अगर 7 सीटें जम्मू के खाते में जाती हैं तो 90 सदस्यीय विधानसभा में जम्मू में 44 और कश्मीर में 46 सीटें हो सकती हैं।
जम्मू कश्मीर की विस. की वर्तमान​ स्थिति क्या है?
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (जेकेआरए) के तहत नई विधानसभा में 83 के स्थान पर 90 सीटें होंगी। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सीटों को बढ़ाने के लिए जनसंख्या ही एकमात्र पैरामीटर नहीं है। इसके लिए भूभाग, जनसंख्या, प्रकृति और क्षेत्र की पहुंच को आधार बनाया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन हो रहा, लेकिन देशभर में यह प्रक्रिया साल 2031 के बाद होगी
5 अगस्त 2019 तक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था और केंद्र की शक्तियां लिमिटेड थीं। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में 1963, 1973 और 1995 में परिसीमन हुआ था। 1991 में राज्य में जनगणना नहीं हुई। फिर 1996 के चुनावों के लिए सीटों का फैसला 1981 की जनगणना के आधार पर किया गया। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन हो रहा है, जबकि पूरे देश में यह 2031 के बाद ही हो सकता है।
1951 में जम्मू-कश्मीर में 100 सीटें थीं, 1995 में हुआ था पहली दफा परिसीमन
1951 में जम्मू-कश्मीर में 100 सीटें थीं। इनमें से 25 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में थीं। पहली बार परिसीमन आयोग का गठन 1981 में किया गया था, जिसने 14 साल बाद 1995 में अपनी सिफारिश भेजी थी। यह 1981 की जनगणना पर आधारित था। उसके बाद कोई परिसीमन नहीं हुआ।
दोनों क्षेत्रों महज 04 सीटों का ही अंतर रह जाएगा
वहीं नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हसनैन मसूदी और मोहम्मद अकबर लोन शामिल थे। ये मीटिंग दिल्ली के अशोक होटल में हुई। यदि आयोग की सिफारिशें मान ली जाती हैं तो जम्मू में विधानसभा सीटों की संख्या कुल 43 हो जाएगी और कश्मीर घाटी में विधानसभा सीटों की संख्या 47 हो जाएगी। इस तरह, दोनों क्षेत्रों महज 04 सीटों का ही अंतर रह जाएगा। कुल सीटों में से आदिवासी समुदाय के लिए 9 और दलित समुदायों के लिए 7 सीटें आरक्षित करने का भी प्रस्ताव दिया गया है। संबंधित सदस्यों को 31 दिसंबर तक इस विषय पर अपने सुझाव देने को कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने परिसीमन को बताया था गणितीय प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि परिसीमन एक गणितीय प्रक्रिया नहीं है, जिसे टेबल पर बैठकर किया जा सकता है। इसके माध्यम से समाज की राजनीतिक अपेक्षाओं और भौगोलिक परिस्थितियों को दिखाया जाना चाहिए।
'जहां तक ​​परिसीमन आयोग का सवाल है, वह भाजपा का ही आयोग है। उनका उद्देश्य अल्पसंख्यक लोगों को बहुसंख्यकों के खिलाफ खड़ा करना और लोगों को कमजोर बनाना है। वे सीटों को इसी तरह बढ़ाना चाह रहे हैं जिससे की बीजेपी को फायदा हो।
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती

परिसीमन आयोग को 6 मार्च तक सभी सीटों का परिसीमन करने का आदेश देना है

परिसीमन आयोग में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज रंजना देसाई, मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव आयुक्त को शामिल किया गया है।

परिसीमन आयोग को 6 मार्च तक सभी सीटों का परिसीमन करने का आदेश दिया गया है। केंद्र शासित प्रदेश में सीटों और उनकी सीमाएं तय होने के बाद ही चुनाव अयोजित किए जाएंगे।

हालांकि, राज्य में गैर-भाजपा दलों ने इस आयोग पर कई बार सवाल उठाए हैं। हाल ही में महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने कहा था कि हमें परिसीमन आयोग पर कोई भरोसा नहीं है क्योंकि यह बीजेपी के एजेंडे पर काम कर रहा है।

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों को रखना होगा ध्यान
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के तहत जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (JKRA) के प्रावधानों को भी ध्यान में रखना होगा। इसे अगस्त 2019 में संसद में पारित किया गया था। इसमें अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें बढ़ाने की बात भी कही गई है। JKRA ने स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर होगा।

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