राजस्थान में एक बार फिर सियासी हवा में बदलाव नजर आ रहा है। गहलोत सरकार में लंबे समय के बाद अब तक कैबिनेट (राजस्थान कैबिनेट फेरबदल) में कोई बदलाव नहीं हुआ है। सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार को दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की। इस दौरान कैबिनेट फेरबदल पर भी चर्चा हुई। जिसके बाद अब प्रदेश में कैबिनेट में बदलाव को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। चर्चाओं की मानें तो दो सीटों पर उपचुनाव के बाद नवंबर में कैबिनेट में फेरबदल हो सकता है। आपको बता दें कि फिलहाल सरकार में सीएम समेत 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
कैबिनेट में फिलहाल 9 रिक्तियां हैं। अगर पार्टी एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लागू करती है तो 3 और मंत्रियों को जगह मिल सकती है। ऐसे में फिर से रिक्त पद 12 हो जाएंगे। इसलिए मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावना कम है। उम्मीद है कि कैबिनेट में पुनर्गठन हो सकता है। ऐसे में सभी मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास 13 बड़े विभागों की जिम्मेदारी है। इन विभागों में गृह, वित्त, उत्पाद शुल्क, नीति नियोजन, कार्मिक, ग्रामीण विकास जैसे बड़े और महत्वपूर्ण विभाग शामिल हैं। ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला के पास 4 बड़े विभाग हैं। इनमें बिजली, सार्वजनिक स्वास्थ्य, भूजल, कला और साहित्य, संस्कृति और पुरातत्व विभाग शामिल हैं। वही कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के पास यूडीएच, एलएसजी, कानून, संसदीय कार्य, आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा जैसे 4 बड़े विभाग हैं।
पार्टी ने कैबिनेट मंत्री डॉ. रघु शर्मा को बड़ी जिम्मेदारी दी है। उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाया गया है। गुजरात में 2022 में चुनाव हैं। इसलिए सारा फोकस वहीं है। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा राज्य के अध्यक्ष और शिक्षा राज्य मंत्री हैं। डोटासरा पहले ही स्पष्ट संकेत दे चुके हैं कि वह राष्ट्रपति का पद संभालेंगे। वहीं कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी बन सकते हैं पंजाब कांग्रेस के प्रभारी अगले साल चुनाव हैं और वहां फोकस करेंगे।
सीएम कहते रहे हैं कि जिन्होंने राजनीतिक संकट में सरकार को बचाया है। उन्हें इनाम जरूर देंगे। इसलिए बसपा और निर्दलीय का भाग्य भी पक्ष में है। यह तय है कि सोशल इंजीनियरिंग, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और अपनों की ओर ध्यान देने की वजह से कई मंत्री छुट्टी पर हो सकते हैं।