समाजवादी पार्टी इस बार के विधानसभा चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों को टिकट देने से पहले पार्टी तीन चरणों में स्क्रीनिंग कर रही है। पार्टी विधायकों के क्षेत्र में भी स्क्रीनिंग की जाएगी। जो लोग विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय नहीं हैं और जिला पंचायत चुनाव में विश्वासघाती हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। ऐसे में कई विधायकों के टिकट पर तलवार लटकी हुई है।
वर्तमान में समाजवादी पार्टी के पास 49 विधायक और 48 विधान परिषद सदस्य हैं। इनमें से कई विधान परिषद सदस्य विधानसभा चुनाव भी लड़ना चाहते हैं। बाकी राज्यों से आने वाले वरिष्ठ नेता भी टिकट मांग रहे हैं। कुछ को पार्टी आलाकमान ने आश्वासन भी दिया है। जिन सीटों पर सपा के विधायक नहीं हैं, वहां पार्टी ने उन सीटों के लिए आवेदन मांगे थे। लेकिन आवेदन सपा के कई विधायकों के क्षेत्र से भी आए।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार टिकट वितरण को लेकर कोई जोखिम नहीं लिया जाएगा। हर हाल में सावधानी बरती जाएगी। टिकट के दावेदारों की लंबी सूचि होने के बाद भी सपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। किसी भी हाल में सिर्फ जटाऊ प्रत्याशी ही मैदान में उतारे जाएंगे। जिस उम्मीदवार पर संदेह होगा, वहां आपको अन्य विकल्प दिखाई देंगे। पार्टी ने अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में पहले चरण का सर्वेक्षण किया है। जहां विधायक नहीं है वहां अलग-अलग दलों में जाकर राजनीतिक समीकरण गरमा रहे हैं। अब विधायकों के इलाके में स्क्रीनिंग की जा रही है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता इस बात का आकलन कर रहे हैं कि संबंधित विधायक की कार्यकर्ताओं और जनता के बीच किस हद तक पकड़ है। कई विधायकों के प्रति नाराजगी है, इसलिए कारणों का पता लगाया जा रहा है। हर सीट पर पार्टी के विधायक और अन्य दलों के नेता किसके पक्ष में जनता है, इसको लेकर भी चर्चा चल रही है। पार्टी के विधायक आसपास की सीट के साथ-साथ अपने क्षेत्र में पार्टी के प्रभाव का भी आकलन कर रहे हैं। पार्टी आलाकमान उन विधायकों पर भी नजर रखे हुए है जो चुनाव खत्म होने के बाद भी सक्रिय नहीं रहते हैं।