निजी तौर पर निर्मित क्रायोजेनिक इंजन 'धवन-1' का सफल परीक्षण किया गया। देश के पहले निजी तौर पर निर्मित, 3डी प्रिंटेड, पूरी तरह से क्रायोजेनिक इंजन का नागपुर में सफल परीक्षण किया गया है। इस इंजन का नाम DHAWAN-1 है और यह इंजन 100% 3D प्रिंटेड और पूरी तरह से भारत में निर्मित है।
क्रायोजेनिक इंजन को हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। इस इंजन में ईंधन के रूप में एलएनजी का उपयोग किया जाता है। कंपनी का दावा है कि एलएनजी के इस्तेमाल से रॉकेट लॉन्च करते समय पर्यावरण को होने वाले नुकसान में कमी आएगी और ईंधन की लागत में भी 40 फीसदी की बचत होगी।
नागपुर के बाजारगांव में कंपनी के परिसर में इंजन का परीक्षण किया गया। स्काईरूट एयरोस्पेस के मुताबिक, कंपनी के विक्रम सीरीज रॉकेट में इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा। स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड एक भारतीय निजी एयरोस्पेस निर्माता और वाणिज्यिक लॉन्च सेवा प्रदाता है जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है।
कंपनी की स्थापना पवन कुमार चंदना और नागा भारत डाका ने की थी। इसका उद्देश्य छोटे उपग्रह बाजार के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए छोटे लिफ्ट लॉन्च वाहनों की अपनी श्रृंखला विकसित और लॉन्च करना है।
इस धवन 1 के 3डी प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण नागपुर के बाजारगांव में सबसे बड़ी विस्फोटक कंपनी के परिसर में किया गया था। क्रायोजेनिक इंजन अन्य इंजनों की तुलना में अधिक विश्वसनीय और सस्ता होने वाला है। स्काईरूट एयरोस्पेस के एक ट्विटर हैंडल के मुताबिक, इसका इस्तेमाल लॉन्च व्हीकल रिकॉर्ड 1, 2, 3 में भी किया जाएगा।
किसी भी मिसाइल को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने में ऊर्जा लगती है। भौतिकी के अनुसार निम्न तापमान के उत्पादन और उपयोग की प्रक्रिया को क्रायोजेनिक कहा जाता है। क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग भारी उपग्रह PSLV3 को कम ईंधन की मदद से लगभग 800 सेकंड के लिए अंतरिक्ष में भेजने के लिए किया जाता है। यह क्रायोजेनिक इंजन ईंधन से तरल हाइड्रोजन (-253) सेल्सियस और ऑक्सीडाइज़र के रूप में तरल ऑक्सीजन (-183) का उपयोग करता है। इसे 'क्रायोजेनिक इंजन' कहा जाता है क्योंकि इंजन के लिए आवश्यक ईंधन बहुत ठंडा होता है। एलएनजी एक बहुत ही ठंडा और भविष्य का ईंधन है और इसका उपयोग पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा।
धवन-1 इंजन को बनाने मे सुपरएलॉय और 3 डी प्रिंटिंग तकनीकी का प्रयोग हुआ जिससे निर्माण समय 95 % से भी कम हो गया। जिसवजह से लागत मे भी भरी कमी आएगी।