हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर के मामले में हलचल फिर तेज हो गई है. सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार, स्वायत्त शासन निदेशालय और कार्यवाहक मेयर शील धाबाई को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है. इस मामले में सौम्या गुर्जर की ओर से अटॉर्नी जनरल रह चुके मुकुल रोहतगी ने पैरवी की.
सूत्रों के मुताबिक सौम्या के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि कमिश्नर
की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में तत्कालीन मेयर सौम्या
गुर्जर पर जोर-जोर से बोलने का आरोप लगाया गया है. राज्य
सरकार ने इसे कदाचार मानकर निलंबित कर दिया था। रोहतगी ने
कहा कि किसी भी जनप्रतिनिधि को तेज आवाज में दुर्व्यवहार करने
पर पद से निलंबित नहीं किया जा सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने
राज्य सरकार, स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक और कार्यवाहक
मेयर शील धाभाई को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में अपना पक्ष रखने को कहा है.
साथ ही मामले की सुनवाई अब 24 अगस्त को होगी।
इससे पहले सौम्या गुर्जर ने अपने निलंबन मामले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
उस समय सौम्या के वकील ने नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 (1डी) के तहत
किए गए निलंबन को चुनौती दी थी।इस धारा में सरकार ने सौम्या गुर्जर को
कदाचार और निंदनीय कृत्य (शर्मनाक व्यवहार) कोआधार मानकर मेयर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया था।
सौम्या की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि इस धारा में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि कदाचार और शर्मनाक व्यवहार की परिभाषा क्या है? किन परिस्थितियों में कदाचार और शर्मनाक व्यवहार माना जाए, जिसके आधार पर सरकार द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधि को निलंबित किया जा सकता है, लेकिन उच्च न्यायालय ने इस धारा और निलंबन आदेश दोनों में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
चार जून को जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय स्थित सौम्या गुर्जर के कक्ष में आयुक्त यज्ञमित्र सिंह के साथ बैठक में विवाद हो गया. इसके बाद आयुक्त ने इस मामले में मारपीट व बदसलूकी का आरोप लगाते हुए शासन स्तर पर शिकायत की थी और ज्योति नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
सरकार ने उसी दिन देर से एक आदेश जारी कर एक आरएएस अधिकारी को मामले की जांच करने को कहा। अधिकारी ने 6 जून की देर शाम अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके बाद सरकार ने सौम्या गुर्जर को उसी दिन मेयर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया था. इसके साथ ही सरकार ने सौम्या गुर्जर मामले में न्यायिक जांच भी शुरू कर दी थी। सरकार के इस फैसले को सौम्या गुर्जर ने राजस्थान हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.