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आखिर क्यों इस इस्लामिक देश ने कहा मस्जिदों के लाउडस्पीकर की आवाज़ कम रखनी चाहिए

Dharmendra Choudhary

डेस्क न्यूज़: सऊदी अरब प्रशासन ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर की आवाज़ पर लगाए गए प्रतिबंधों का बचाव किया है। सऊदी प्रशासन ने कहा है कि मस्जिदों के लाउडस्पीकर की आवाज़ कम रखना सही है।

सऊदी अरब के इस्लामी मामलों के मंत्री डॉ अब्दुल लतीफ बिन अब्दुल्ला अज़ीज़ अल शेख ने पिछले हफ्ते ही इन प्रतिबंधों की घोषणा की थी।

उन्होंने कहा था कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर "अधिकतम मात्रा के एक तिहाई से अधिक" नहीं होने चाहिए।

उन्होंने कहा था कि लोगों की लगातार शिकायतों के बाद यह फैसला लिया गया है।

उन्होंने बताया था, "उन्हें ऐसी भी शिकायतें मिलीं, जिनमें कुछ अभिभावकों ने लिखा कि लाउडस्पीकर की तेज़ आवाज़ से उनके बच्चों की नींद ख़राब होती है।"

स्पीकर की आवाज़ अधिकतम मात्रा की एक तिहाई से ज़्यादा नहीं होनी चाहिये

अपने आदेश में, डॉ अब्दुल लतीफ बिन अब्दुल्ला अज़ीज़ अल-शेख ने लिखा, "मस्जिदों पर लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल केवल नमाज़ (अज़ान के लिए) और इक़ामत (लोगों को नमाज़ के लिए बुलाने) के लिए किया जाता था और उनकी आवाज़ अधिक नहीं होनी चाहिए स्पीकर की अधिकतम मात्रा का एक तिहाई से ज़्यादा नहीं होनी चाहिये।"

उन्होंने यह भी लिखा कि "इस आदेश का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ प्रशासन की ओर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"

इस्लाम के अनुयायियों के अनुसार, अज़ान और इक़ामत का उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि इमाम अपनी जगह पर बैठ गए हैं और नमाज़ शुरू होने वाली है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी प्रशासन ने पाया था कि नमाज़ अदा करते समय भी लाउडस्पीकर को पूरी आवाज़ में रखा जा रहा था।

पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद का हवाला

इस आदेश के पीछे इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने शरीयत का तर्क दिया है। कहा गया है कि सऊदी प्रशासन का यह आदेश पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद के निर्देश पर आधारित है, जिन्होंने कहा था कि "हर आदमी चुपचाप अपने रब को पुकार रहा है। इसलिए किसी दूसरे को परेशान नहीं करना चाहिए और ना ही पाठ में या प्रार्थना में दूसरे की आवाज़ पर आवाज़ उठानी चाहिए।"

सऊदी प्रशासन ने अपने आदेश में तर्क दिया है कि "इमाम नमाज़ शुरू करने वाले हैं, यह मस्जिद में मौजूद लोगों को पता होना चाहिए, पड़ोसी के घरों में रहने वाले लोगों को नहीं। बल्कि यह क़ुरान का अपमान है कि आप उसे लाउडस्पीकर के माध्यम से बताओ।"

सऊदी प्रशासन ने कहा है कि एक वरिष्ठ धर्मगुरु मोहम्मद बिन सालेह द्वारा इस संबंध में पहले भी एक फतवा जारी किया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अज़ान और इक़ामत के अलावा मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

रूढ़िवादी मुसलमान सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे

सऊदी अरब में धर्म के कई बड़े विशेषज्ञों ने सरकार के इस आदेश को सही ठहराया है।

जबकि ज्यादातर रूढ़िवादी मुसलमान सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ अभियान चला रहे हैं।

ये लोग कह रहे हैं कि रेस्टोरेंट, कैफे और बाजारों में तेज आवाज में बजने वाले संगीत पर भी रोक लगनी चाहिए। सोशल मीडिया पर इससे जुड़े हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।

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