बाघम्बरी मठ के उत्तराधिकार को लेकर 3 वसीयत सामने आये हैं ,मगर बाघंबरी मठ की गद्दी पर विराजेंगे बलबीर गिरि, जिनका जिक्र महंत नरेंद्र गिरि ने सुसाइड लेटर में कई बार उत्तराधिकारी के तौर पर किया गया था। उत्तराधिकारी के तौर पर उनके नाम की घोषणा हो गई है और वे 5 अक्टूबर को नरेंद्र गिरि की गद्दी पर बैठेंगे। पर, नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड के बाद मठ ने इस गद्दी के लिए नियम और शर्तें कड़ी कर दी हैं।
मठ के माननीय लोगों की मानें तो बलबीर गिरि पिछले महंतों की तरह 'ताकतवर' नहीं होंगे। सीधे शब्दों में कहें तो वे 'स्वयंभू' नहीं होंगे। उन पर सुपर एडवाइजरी बोर्ड की लगाम रहेगी। इस बोर्ड में निरंजनी अखाड़े और मठ के 5-6 माननीय लोग होंगे, जो मठ और अखाड़े की परंपरा को अच्छी तरह जानते होंगे।
1. महंत के सुसाइड नोट में जिस तरह से मठ की संपत्ति कोकुछ लोगो मे बांटने की बात सामने आई, वह मठ के लोगों जरा भी रास नहीं आ रही।
2. आनंद गिरि और नरेंद्र गिरि के विवाद की वजह से मठ की छवि को बहुत गहरा धक्का लगा है।
3. आनंद गिरि पर सनातन धर्म के मुताबिक आचरण न करने के आरोप तो लगे। साथ ही सुसाइड नोट में यह भी सामने आया कि आनंद गिरि नरेंद्र गिरि का कोई वीडियो जारी करने वाला था।
मठ ने अब एक नई व्यवस्था या कहें पुरानी व्यवस्था को जीवित करने का निर्णय लिया है। 1978 तक मठ में सुपर एडवाइजरी बोर्ड हुआ करता था, लेकिन उसके बाद के महंत खासतौर पर विचारानंद गिरि, भगवानदास गिरि और नरेंद्र गिरि के समय कोई भी एडवाइजरी बोर्ड नहीं था। महंत का निर्णय सर्वमान्य था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
एडवाइजरी बोर्ड का क्या होगा काम?
मठ के एक अधिकारी के अनुसार , गद्दी के लिए महंत चुनने के साथ ही गद्दीसीन व्यक्ति पर कुछ शर्तें लागू होंगी । यह कानूनी अनुबंध नहीं होगा,किन्तु इसे मठ का संविधान माना जाएगा। हालांकि यह शर्तें पहले भी थीं, लेकिन अब इनका दस्तावेजीकरण गद्दी अभिषेक के साथ ही होगा। एक तरह से यह महंत और मठ के बीच कॉन्ट्रैक्ट होगा।
सनातनी परंपरा के विपरीत जीवन जीना या फिर गलत आचरण महंत के ऊपर कार्रवाई का कारण बन सकता है।
महंत कभी विवाह नहीं करेगा। मदिरा सेवन और भोग विलास से दूर रहेगा।
मठ की संपत्ति का लेन दें नहीं करेगा । घर से कोई रिश्ता नहीं रखेगा।
एडवाइजरी बोर्ड की सलाह के बगैर किसी को मठ की संपत्ति नहीं देगा।
मठ के भीतर और बाहर यह सवाल उठ रहा है कि आखिर 28 सितंबर को ऐसा क्या हुआ जो बलबीर को महंत बनाने के लिए मठ ने चर्चा शुरू की। रातों रात फैसला भी हो गया, क्योंकि पंच परमेश्वर और मठ के अन्य लोगों ने साफ कहा था कि पहले जांच में सच सामने आएगा उसके बाद गद्दी का उत्तराधिकारी चुना जाएगा।