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Unlock1.0 अंतिम पड़ाव में, धार्मिक स्थल खोलने पर अभी भी संशय

सरकार की ओर से जो गाइडलाइन बनाई जाएगी, उसमें आने वाले त्योहारों और पर्व को लेकर भी निर्देश दिए जाएंगे

savan meena

न्यूज – धार्मिक स्थल खोले जाएं या नहीं, गेंद सरकार के पाले में अनलॉक 1.0 ( Unlock 1.0 ) शुरू होने के बाद अब धार्मिक स्थल को 30 जून के बाद खोला जाए या नहीं, इसे लेकर राज्य सरकार के स्तर पर  धार्मिक स्थल खोलने के लिए गाइडलाइन तैयार कर निर्णय किया जाएगा।

कलेक्टर ने धर्मगुरुओं से मिले प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे

अनलॉक 1.0 ( Unlock 1.0 ) शुरू होने के बाद धार्मिक स्थलों को छोड़ लगभग सभी प्रकार की गतिविधियों को खोलने की सरकार अनुमति दे चुकी है। अब धार्मिक स्थल को 30 जून के बाद खोला जाए या नहीं, इसे लेकर राज्य सरकार के स्तर पर धार्मिक स्थल खोलने के लिए गाइडलाइन तैयार कर निर्णय किया जाएगा।  जयपुर कलेक्ट्रेट में पिछले दिनों विधायकों, धर्मगुरुओं की बैठक में धार्मिक स्थल खोलने को लेकर मिले सुझावों के आधार पर जिला कलेक्टर ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है।

दो धड़ों में बंटे नजर आए धर्मगुरु

कलेक्टर के साथ हुई बैठक में धार्मिक स्थलों को खोलने के संबंध में धर्मगुरु भी दो धड़ों में बंटे नजर आए थे। एक ओर जहां एक जुलाई से सावधानी बरतते हुए प्रशासन के सहयोग से धार्मिक स्थलों को खोलने जाने की मांग की। वहीं, दूसरा धड़ा कोरोना संक्रमण मामले बढऩे की वजह से इस अवधि को बढ़ाने के पक्ष में नजर आया। धर्म गुरुओं ने स्पष्ट कह दिया कि स्थलों को खोले जाने के बाद प्रशासन और पुलिस का सहयोग जरूरी होगा। बैठक में एक दर्जन से अधिक धर्म गुरुओं ने अलग—अलग सुझाव दिए। हालांकि ज्यादातर धर्मगुरु एक जुलाई से मंदिरों को खोलने के पक्षधर हैं।

राज्य सरकार भीड़ कम करने के संबंध में भी निर्देश जारी कर सकती है

सरकार की ओर से जो गाइडलाइन बनाई जाएगी, उसमें आने वाले त्योहारों और पर्व को लेकर भी निर्देश दिए जाएंगे। आने वाले दिनों में सावन मास शुरू होने वाला है। इस दौरान कावड़ यात्रा की धूम रहेगी। इसी तरह गुरुपूर्णिमा, जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी जैसे बड़े त्योहार पर भी शहर में श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ रहती है। ऐसे में राज्य सरकार भीड़ कम करने के संबंध में भी निर्देश जारी कर सकती है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया था, जिसमें स्थानीय विधायकों, धर्मगुरुओं और संत-महंतों को सदस्य बनाया था। समिति को इस पर विचार कर सुझाव देने थे कि संबंधित जिले के धर्मिक स्थल खोले जाने चाहिए या नहीं।

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