डेस्क न्यूज़- उत्तराखंड में भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह इस साल 10 मार्च को पौड़ी गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी थी, संविधान के प्रावधान के मुताबिक अगर तीरथ सिंह रावत छह महीने के भीतर विधानसभा के सदस्य नहीं बनते हैं तो उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना होगा, लेकिन संविधान के एक और प्रावधान ने तीरथ सिंह रावत के कुर्सी पर बने रहने पर सवालिया निशान लगा दिया है।
कांग्रेस का दावा है कि नियम के मुताबिक अगर किसी राज्य में विधानसभा चुनाव में एक साल बचा है तो ऐसी सीटों पर उपचुनाव नहीं हो सकता जो एक साल की समय सीमा के भीतर खाली हो गई हों, इसलिए सीएम तीरथ सिंह रावत विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकते हैं और उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है, दूसरी ओर भाजपा का दावा है कि चुनाव में अभी एक साल से अधिक का समय बाकी है।
राज्य विधानसभा का कार्यकाल अगले साल मार्च 2022 में पूरा हो रहा है, जिसके बाद चुनाव होंगे, कांग्रेस जोर-शोर से इस बात को उठा रही है कि जनप्रतिनिधित्व कानून 151ए में कहा गया है कि जिस राज्य में चुनाव के लिए एक साल बचा है, उस दौरान अगर कोई सीट खाली रह जाती है तो वहां उपचुनाव हो सकता है, उत्तराखंड में दो विधानसभा सीटें हैं जो खाली हैं, गंगोत्री सीट इस साल अप्रैल में विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद खाली हुई थी, हल्द्वानी सीट जून में इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद खाली हुई थी, नियमों के मुताबिक इन दोनों सीटों पर उपचुनाव संभव नहीं है, अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और ये सीटें एक साल के भीतर खाली हो गई हैं।
जब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से पूछा गया कि वह किस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने जवाब दिया कि यह आलाकमान तय करेगा, लेकिन फिर भी सवाल यह है कि क्या राज्य में ऐसी कोई सीट है जहां से सीएम तीरथ चुनाव लड़ सकते हैं? मुख्यमंत्री पौड़ी गढ़वाल के सांसद हैं और अब तक इस पद पर हैं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि एक तरफ राज्य में संवैधानिक संकट की आशंका है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि विधानसभा चुनाव को एक साल से अधिक समय हो गया है, इसलिए ऐसा नहीं है, एक संवैधानिक संकट के रूप में बात है।