न्यूज – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ हाल ही में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में महाभियोग प्रस्ताव पास हुआ। ट्रंप पर महाभियोग चलाने के लिए 18 दिसंबर 2019 को लंबी बहस चली और फिर मतदान हुआ, जिसके पक्ष में 229 मत पड़े। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर सत्ता के दुरुपयोग के लिए महाभियोग का प्रस्ताव निचले सदन में 197 के मुकाबले 229 मतों से पास हो गया है। इस तरह, अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उस देश के इतिहास में तीसरे ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन पर महाभियोग चलाया जाएगा।
महाभियोग से नहीं गई अब तक कोई कुर्सी
अमेरिकी में अभी तक किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रक्रिया के तहत नहीं हटाया गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहले दो और अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही हुई है। साल 1968 में अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन और 1998 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर महाभियोग चलाया गया था लेकिन सीनेट ने उन्हें दोषी नहीं ठहराया। वहीं पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने महाभियोग से पहले ही साल 1974 में इस्तीफा दे दिया था।
ट्रंप पर महाभियोग का कारण
डोनाल्ड ट्रंप के विरुद्ध पहला आरोप सत्ता का दुरुपयोग करना है। इसमें डोनाल्ड ट्रंप पर यूक्रेन पर 2020 के आम चुनावों में उनके संभावित राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन को बदनाम करने के लिए दबाव बनाने का आरोप है। डोनाल्ड ट्रंप पर दूसरा आरोप महाभियोग मामले में सदन की जांच में सहयोग नहीं करने का है।
आगे क्या होगा
अमेरिका में राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव लाना उनको राष्ट्रपति भवन से हटाने की शुरुआती प्रक्रिया होती है। अमेरिका के निचले सदन से प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद अब ऊपरी सदन सीनेट में डोनाल्ड ट्रंप को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। सीनेट में डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन को बहुमत है। ऐसे में बहुत कम संभावना है कि सीनेट में प्रस्ताव उनके खिलाफ जाए।
अमेरिका में महाभियोग की प्रक्रिया
न्यायिक समिति द्वारा जांच: अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया जाता है तो सर्वप्रथम संसद की न्यायिक समिति इन आरोपों की जांच करती है। यदि आरोप सत्य साबित होते हैं तो इस मामले को पूरे सदन के समक्ष पेश किया जाता है। इन आरोपों पर प्रतिनिधि सभा में वोटिंग होती है। यदि वोटिंग महाभियोग के पक्ष में होती है तो कार्यवाही सीनेट को सौंप दी जाती है।
सीनेट ट्रायल और वोटिंग:
– सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सीनेट न्यायालय के समान कार्य करती है।
– सुनवाई के लिए सीनेटर्स के बीच से कुछ सांसदों को चुना जाता है, जो कि प्रबंधक के रूप में जाने जाते हैं। ये प्रबंधक अभियोजकों की भूमिका निभाते हैं।
– इस ट्रायल के दौरान राष्ट्रपति का वकील अपना पक्ष रखता है। सुनवाई पूरी होने के बाद सीनेट दोष सिद्धि का परीक्षण करती है और वोट देती है।
– यदि सीनेट में उपस्थित कम-से-कम दो-तिहाई सदस्य राष्ट्रपति को दोषी पाते हैं, तो राष्ट्रपति को हटा दिया जाता है।