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रंगभेद की लडाई लडने वाले “नेल्सन मंडेला” ने दुनिया को सिखाया था गांधीवाद

savan meena

जयपुर (डेस्क न्यूज) – "अगर आप अपने काम के लिए समर्पित और उत्साही हैं तो सफलता आपके कदम चूमेगी"

"मेरी सफलता को देखकर कोई राय मत बनाइए…आप देखिए कि मैं कितनी बार गिरा हूं और फिर दोबारा कैसे अपने पैरों पर खड़ा हुआ हूं,"

'शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है',

"मनुष्य की अच्छाई ज्योति के समान है, जिसे छुपाया तो जा सकता है लेकिन बुझाया नहीं जा सकता"..

"ये विचार मेरे नही दुनिया के उस शख्स के है जो दुनिया के लिए लडें भी और जीते भी, इस महान व्यक्ति का नाम कौन नहीं जानता"

नाम है…नेल्सन मंडेला,

आज उनका जन्मदिन है

नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पुर्व राष्ट्रपति थे,उन्होंने अपनी ज़िंदगी के 27 वर्ष रॉबेन द्वीप पर जेल में रंगभेद नीति के ख़िलाफ़ लड़ते हुए बिताए। नेल्सन मंडेला अब्राहम लिंकन, मार्टिन लूथर किंग और महात्मा गाँधी जी के विचारो पर चलने वाले व्यक्ति थे।

एक ऐसा दौर था जब पूरी दुनिया महात्मा गांधी के अहिंसावादी सिंद्धातों और उनके विचारों से प्रभावित थी, नेल्सन मंडेला भी उन्ही में एक है उन्होनें महात्मा गांधी के विचारों को पूरी तरह अपना लिया था।

महात्मा गांधी का प्रभाव उन पर इस कदर था कि जब भी वे कोई आंदोलन करते थे तो उनमें गांधी की झलक तो दिखती ही थी लेकिन ऐसा लगता था मानो स्वंय गांधी आकर बैठे गये हो। उन्होनें रंगभेद के खिलाफ आंदोलन चलाया जिसके लिए उन्हें उम्रकैद की सजा हुई। और उन्हें आम जनता से दूर एक द्वीप पर जैल में भेज दिया जिसे भारत में कालेपाने की सजा मानी जाती है…लेकिन उन्होनें वंहा हार नही मानी और अंत में उनकी जीत हुवी और नोबेल पुरूस्कार से भी सम्मानित किया गया

1993 में नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया, इनके अलावा उन्हें प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम, ऑर्डर ऑफ़ लेनिन भी मिला।

1990 में भारत सरकार ने भारत के सबसे बडे पुरस्कार भारत रत्न, और 23 जूलाई 2008 को गांधी शांति पुरस्कार से नेल्सन मंडेला को सम्मानित किया। पाकिस्तान ने भी अपने सबसे बडें पुरस्कार निशान-ए–पाकिस्तान से नेल्सन मंडेला को सम्मानित किया है।

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