इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप अपनी विवादास्पद नीति को लेकर बैकफुट पर है। व्हाट्सएप ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने अपनी गोपनीयता नीति को फिलहाल के लिए रोक दिया है। WhatsApp ने कहा कि जब तक डेटा प्रोटेक्शन बिल कानून नहीं बन जाता, हम यूजर्स को अपनी प्राइवेसी पॉलिसी अपनाने के लिए बाध्य नहीं करेंगे।
दिल्ली हाई कोर्ट में इस ऐप के मालिक व्हाट्सएप और फेसबुक ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच के खिलाफ अपील की है। सीसीआई ने पिछले महीने व्हाट्सएप और फेसबुक को नोटिस जारी कर गोपनीयता नीति के संबंध में जानकारी मांगी थी।
इसके खिलाफ व्हाट्सएप सिंगल जज बेंच के पास गया, जहां उसकी अपील खारिज कर दी गई। तब कोर्ट ने कहा कि नीति का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में पहले से चल रहा था, इसके बाद व्हाट्सएप ने दिल्ली हाई कोर्ट में इस फैसले का विरोध किया है।
केंद्र ने सिंगल जज बेंच के सामने व्हाट्सएप की नीति का भी विरोध किया था। केंद्र ने कोर्ट को बताया था कि व्हाट्सऐप पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के कानून बनने से पहले यूजर्स को अपनी प्राइवेसी पॉलिसी अपनाने के लिए मजबूर कर रहा है, केंद्र ने कहा था कि व्हाट्सएप उपयोगकर्ताओं को इस तरह की नोटिफिकेशंस की बमबारी की जा रही है कि वे नीति को अपनाने को मंजूरी दें।
भारत में व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी फरवरी में लागू होनी थी, लेकिन यूजर्स और एक्सपर्ट्स ने इस पर चिंता जताई। इस नीति में सरकार के हस्तक्षेप की मांग की गई थी। इसके बाद कंपनी ने इसमें देरी कर दी। यह नीति मई के मध्य में लागू की गई थी। व्हाट्सएप ने तब सरकार से कहा था कि यूजर्स की प्राइवेसी उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
व्हाट्सएप पर नई शर्तों और गोपनीयता नीति के अनुसार, कंपनी सेवाओं को संचालित करने के लिए व्हाट्सएप पर आपके द्वारा अपलोड, सबमिट, स्टोर, भेजने या प्राप्त करने वाली सामग्री का कहीं भी उपयोग, पुनरुत्पादन, वितरण और प्रदर्शन कर सकती है।
नई पॉलिसी के नोटिफिकेशन में कंपनी ने साफ तौर पर लिखा है कि अब व्हाट्सएप आपकी सारी जानकारी अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ शेयर करेगा। यानी WhatsApp भी अपने यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल कर पैसे कमा सकता है।