Praggnanandhaa: भारत के 18 साल के ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानंद फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप के फाइनल में हार गए।
प्रज्ञानंद ने विश्व के तीसरे रैंक के खिलाड़ी फैबियानो कारूआना को सेमीफाइनल में हरा कर फाइनल में प्रवेश किया था, लेकिन फाइनल मैच में वह नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन को नहीं हरा पाए।
टाईब्रेकर में प्रज्ञानंद को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन से हार का सामना करना पड़ा।
अगर प्रज्ञानंद फाइनल जीत जाते तो प्रतियोगिता जीतने वाले दूसरे भारतीय बन जाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
बता दें कि अनुभवी खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद इस प्रयोगिता को दो बार अपने नाम कर चुके हैं।
प्रज्ञानंद 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे। उनका जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में हुआ था।
उन्होंने तीन साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। प्रज्ञानंद के पिता रमेशबाबू एक बैंक में काम करते हैं। पोलियो से पीड़ित होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बच्चों का अच्छे से पालन-पोषण किया।
प्रज्ञानंद की बड़ी बहन वैशाली को भी शतरंज खेलना पसंद था और उन्हें देखकर ही प्रगनानंद ने शतरंज खेलना शुरू किया था।
प्रज्ञानंद की बड़ी बहन वैशाली चाहती थी कि उसका भाई टीवी में कार्टून कम देखे। इसी वजह से उन्होंने अपने छोटे भाई को शतरंत खेलना सीखा दिया।
लेकिन उस समय प्रज्ञानंद की बड़ी बहन वैशाली को भी यह एहसास नहीं था कि छोटा भाई आगे चलकर शतरंज में कमाल कर देगा।
प्रज्ञानंद के लिए साल 2018 बहुत ही खास रहा था। वह केवल 12 साल की उम्र में ही शतरंज के ग्रैंडमास्टर बन गए थे।
यह करनामा कर वह भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। प्रज्ञानंद इस मामले में विश्वनाथन आनंद को भी पछाड़ दिया था।
बता दें कि आनंद 18 साल की उम्र में दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे।
उनसे आगे सिर्फ यूक्रेन के सिर्जी कर्जाकिन हैं। वह साल 1990 में सिर्फ 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे।