न्यूज – आज देश 26/11 हमले में शहीद हुए जवानों और मारे गए लोगों को याद कर रहा है। वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मरीन ड्राइव में पुलिस मेमोरियल जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
26 नवंबर 2008 की शाम तक मुंबई में हर-रोज की तरह चहलकदमी कर रही थी। शहर के हालात पूरे तरह सामान्य थे। लोग बाजारों में खरीदारी कर रहे थे। वहीं, कुछ लोग मरीन ड्राइव पर रोज की तरह समुद्र से आ रही ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे मुंबई रात के अंधेरे की तरफ बढ़ना शुरू हुई, वैसे-वैसे मुंबई की सड़कों पर चीख-पुकार तेज होती चली गई।
पाकिस्तान से आए जैश-ए-मोहम्मद के 10 आतंकवादियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था। इस आतंकी हमले को आज 11 साल हो गए हैं लेकिन यह भारतीय इतिहास का वो काला दिन है जिसे कोई चाह कर भी नहीं भूल सकता। हथियारों से लैस इन आतंकियों के हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए और 300 ज्यादा लोग घायल हुए थे।
इस हमले की शुरुआत कुछ इस तरह हुए हमले से तीन दिन पहले यानि 23 नवंबर को कराची से नाव के रास्ते ये आतंकी मुंबई में घुसें। ये भारतीय नाव से मुंबई पहुंचे थे। जिस भारतीय नाव पर ये आतंकी सवार थे, उस पर इन्होंने कब्जा किया था और उस पर सवार चार भारतीयों को मौत के घाट उतार दिया था। रात के तकरीबन आठ बजे ये हमलावर कोलाबा के पास कफ परेड के मछली बाजार पर उतरे। वहां से वे चार समूहों में बंट गए और टैक्सी लेकर अपनी मंजिलों का रूख किया।
पुलिस को रात के साढ़े नौ बजे छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर गोलीबारी की खबर मिली। बताया गया कि यहां रेलवे स्टेशन के मुख्य हॉल में दो हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी की है। इन हमलावरों में एक हमलावर मुहम्मद अजमल कसाब था जिसे अब फांसी दी जा चुकी है। दोनों हमलावरों ने एके 47 राइफलों से 15 मिनट गोलीबारी कर 52 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 100 से ज्यादा लोगों को घायल कर दिया था।
29 नवंबर की सुबह तक 9 हमलावरों का सफाया हो चुका था और अजमल कसाब के तौर पर एक हमलावर पुलिस की गिरफ्त में था। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आ चुकी थी लेकिन लगभग 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी थी।