न्यूज – इंदौर नगर निगम की निःशुल्क भोजन सामग्री वितरण व्यवस्था पर ग्रहण लगता जा रहा है। स्थानीय लोग ओमनी गार्डन में चल रही यह व्यवस्था दानदाताओं के अभाव में कमजोर होती जा रही है। इस बात का प्रमाण हैं यहाँ लगातार खाद्य सामग्री की कमी होती जा रही है।
शुरुआती दौर में भोजन सामग्री के पैकेट्स में आटा, दाल, चावल, शक्कर, कुछ मसाले, आलू-प्याज और तेल दिया जाता था। पिछले कई दिनों से पैकेट्स से आधी से ज़्यादा सामग्री गायब हो गई है जबकि अब तो इंदौर नगर निगम पालिक ने इस व्यवस्था के लिये शासन से करीब 5 करोड़ की मंजूरी भी ले ली है और लगभग इतनी ही राशि का प्रबंध और करने की योजना है।
बताते हैं कि गेहूं और चावल की चूरी तो सीधे शासन से प्राप्त हो रही है और दानदाता भी दिल खोलकर बड़ी मात्रा में सामान दे रहे हैं बावजूद पैकेट्स से अनिवार्य वस्तुएं कम होती जा रही है।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार कह चुके हैं कि इंदौर में जरूरतमन्दों को भोजन की कमी नहीं आने देंगे।
लॉक डाउन को सफल बनाने में नगर निगम की घर-घर निःशुल्क भोजन सामग्री व्यवस्था बड़ी कारगर साबित हुई लेकिन मसाले,तेल,सब्जी , शक्कर के बिना यह पैकेट्स को 'अधूरी सेवा' माना जा रहा है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि हम तो पूरा सामान देना चाहते हैं।दानदाता नहीं भी देंगे तो हम सामान खरीद भी सकते हैं लेकिन थोक बाज़ार में सामान नहीं उपलब्ध है,जबकि हकीकत में एक सप्ताह से देशभर में सामान की आपूर्ति सुलभ हुई है।
उधर, भोजन वितरण सामग्री की व्यवस्था को लेकर भी निगम पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। अनेक जन प्रतिनिधियों ने शिकायत की है कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। संगठन विशेष के लोगों को ही यह पैकेट्स दिये जा रहे हैं। कुछ जन प्रतिनिधि आज यह मुद्दा नई दिल्ली से आये केंद्रीय दल के समक्ष उठाने वाले हैं।