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Jaipur के इस डॉक्टर ने किया ऐसा काम, भूटान की महिला भी बोली “ये किसी भगवान से कम नहीं”

डॉ सतीश मिश्रा ने भूटान की महिला की एक सोशल मीडिया रिक्वेस्ट को देखा था, जिसमें इस भूटान की एक महिला ने कोलकाता में कैंसर से जूझ रही उसकी मां के लिए मदद मांगी थी। महिला ने अपनी रिक्वेस्ट में बताया था कि उनकी मां का कोलकाता के राजारहाट के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। साथ ही उन्हें इलाज में करीब 70 यूनिट प्लाज्मा की जरूरत थी।

savan meena

Jaipur के इस डॉक्टर ने किया ऐसा काम, भूटान की महिला भी बोली "ये किसी भगवान से कम नहीं" : जयपुर के एक डॉक्टर ने कुछ ऐसा कर दिखाया है यदि किसी की मदद करने का मन बना लिया जाएं, तो मुश्किलें भी शायद उसे रोक नहीं सकती है। दरअसल जयपुर में मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य कार्यालय (सीएमएचओ) में चिकित्सा अधिकारी के रूप में काम करने वाले डॉ सतीश मिश्रा ने कोलकाता में एक वृद्ध महिला की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई।

Jaipur के इस डॉक्टर ने किया ऐसा काम, भूटान की महिला भी बोली "ये किसी भगवान से कम नहीं" :  

दरअसल डॉ सतीश मिश्रा ने भूटान की महिला की एक सोशल मीडिया रिक्वेस्ट को देखा था, जिसमें इस भूटान की एक महिला ने कोलकाता में कैंसर से जूझ रही उसकी मां के लिए मदद मांगी थी।

महिला ने अपनी रिक्वेस्ट में बताया था कि उनकी मां का कोलकाता के राजारहाट के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। साथ ही उन्हें इलाज में करीब 70 यूनिट प्लाज्मा की जरूरत थी।

सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर पोस्ट देखकर की मदद

मिश्रा ने कहा, "मैं यहां शहर में कोविड रोगियों के लिए ऑक्सिजन और बिस्तर की व्यवस्था कर रहा था, तभी एक दिन मैंने इस पोस्ट को सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर देखा।" पोस्ट में भूटान की एक महिला शेरिंग त्शोमो ने अपनी 56 वर्षीय मां पाबी माया तिखात्री के लिए प्लाज्मा का अनुरोध किया था।"

भूटान के लोग कोलकाता में रक्तदाता कैसे ढूंढ सकते हैं

डॉक्टर मिश्रा का कहना था कि "मुझे यह बात सुनकर उस रात नींद नहीं आई। मैं परेशान और बेचैन था क्योंकि इस पोस्ट में यह कहा गया था कि महिला को कैंसर था । साथ ही उसे कम से कम 70 यूनिट की आवश्यकता थी। वहीं मेरे मन में यह भी बात आई कि भूटान के लोग कोलकाता में रक्तदाता कैसे ढूंढ सकते हैं, लिहाजा उनकी मदद का फैसला लिया।

डॉक्टर मिश्रा कहते है कि "मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि मैं विक्रम जी की मदद से ऐसा कर सका।"

मिश्रा ने बताया कि इसके बाद हमने रक्तदाताओं के संपर्क सूची को खंगाला। यहां विक्रम दधीच नाम के एक डोनर से संपर्क किया, जिसके पास देशभर में रक्तदाताओं का एक समूह के संबंध में जानकारी थी। इसके बाद हम 60 इच्छुक दाताओं को खोजने में कामयाब रहे , जिन्होंने उसे रक्त दिया। इसके बाद से मरीज को छुट्टी दे दी गई है। डॉक्टर मिश्रा कहते है कि "मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि मैं विक्रम जी की मदद से ऐसा कर सका।"

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