डेस्क न्यूज़- सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने की अनुमति मांगने वाले किसान संगठनों को शुक्रवार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आपने पूरे दिल्ली शहर का दम घोंट दिया है। हाईवे जाम है। संगठन ने कहा था कि जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण और अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने के लिए 200 किसानों को एकजुट होने दिया जाए। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि पूरे शहर का दम घुटने के बाद आप शहर के अंदर आना चाहते हैं। क्या यहां रहने वाले नागरिक इस प्रदर्शन से खुश हैं? ये गतिविधियां बंद होनी चाहिए। किसान आंदोलन ।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी कानून को अदालतों में चुनौती देने के बाद कोर्ट पर विश्वास करना चाहिए। आपको विरोध-प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन नेशनल हाईवे ब्लॉक होने के चलते लोगों को परेशानी में नहीं डाला जा सकता है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भी कहा था कि प्रदर्शनकारी रोजाना हाईवे कैसे जाम कर सकते हैं? अदालत द्वारा तय की गई व्यवस्था को लागू करना अधिकारियों का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में किसान संगठनों को पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा कि जो भी समस्या है उसका समाधान न्यायिक मंच या संसदीय चर्चा के जरिए निकाला जा सकता है। आपको बता दें कि नोएडा की एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि दिल्ली बॉर्डर ब्लॉक होने के कारण नोएडा से दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट की जगह दो घंटे लगते हैं और यह किसी बुरे सपने जैसा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में सरकार से समाधान खोजने को कहा था। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से भी इस समस्या का हल निकालने को कहा था। कोर्ट ने सरकारों से कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन से लोगों की हो रही समस्याओं का समाधान करे।