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NCP प्रमुख शरद पवार नए कृषि कानूनों के समर्थन में, बोले नहीं किया जा सकता कृषि कानूनों को पूरी तरह से खारिज

पवार ने गुरुवार को कहा कि कृषि कानूनों को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता, हां यह जरूरी है कि कानून के उस हिस्से में संशोधन किया जाए, जिसमें किसानों को दिक्क्त है

Deepak Kumawat

डेस्क न्यूज़- कृषि कानूनों को लेकर पिछले 7 महीने से चल रहे विरोध के बीच केंद्र सरकार को पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार का समर्थन मिला है, पवार ने गुरुवार को कहा कि कृषि कानूनों को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता, हां यह जरूरी है कि कानून के उस हिस्से में संशोधन किया जाए, जिसमें किसानों को दिक्क्त है।

केंद्र के विधेयक के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन

मुंबई में एक निजी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में भाग लेने पर शरद पवार से मीडिया ने पूछा कि क्या महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव लाएगी, इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'हम पूरे विधेयक को खारिज करने के बजाय उस हिस्से में संशोधन की मांग कर सकते हैं, जिसके बारे में किसानों को आपत्ति है, उन्होंने कहा कि इस कानून से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही प्रस्ताव पर विचार किया जाए।

राकांपा प्रमुख ने यह भी कहा कि महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के मंत्रियों का एक समूह केंद्र के विधेयक के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहा है।

कृषि कानूनों पर विधानसभा सत्र में कठिन बहस

शरद पवार ने आगे कहा कि राज्यों को अपने अधिकार में इस कानून को लागू करने से पहले इसके विवादास्पद पहलुओं पर विचार करना चाहिए, शरद पवार ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि यह विधेयक महाराष्ट्र के दो दिवसीय सत्र में बहस के लिए आ पाएगा, आता है तो इस पर विचार किया जाना चाहिए।

किसानों और केंद्र के बीच गतिरोध की स्थिति बन गई है

पवार ने आगे कहा कि किसान पिछले 7 महीने से देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, किसानों और केंद्र के बीच गतिरोध की स्थिति बन गई है, केंद्र को पहल करनी चाहिए और किसानों से बात करनी चाहिए।

26 नवंबर से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन

बता दें कि केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, गाजीपुर बार्डर, सिंघू बॉर्डर पर किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, आंदोलन के बाद से ही शरद पवार इन कृषि कानूनों में बदलाव के पक्षधर रहे हैं।

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