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किसान आंदोलन का एक साल : दिल्ली सीमा पर सुरक्षा कड़ी की गई

Prabhat Chaturvedi

किसान पिछले एक साल से दिल्ली की तीन सीमाओं-सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में डेरा डाले हुए हैं। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पिछले साल 26-27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' कार्यक्रम के साथ शुरू हुआ था। केंद्र ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के अपने फैसले की घोषणा की है। चालीस से अधिक किसान संघ के आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में कहा कि संघर्ष को इतने लंबे समय तक जारी रखना है। यह दर्शाता है कि भारत सरकार का अपने कामकाजी नागरिकों के प्रति असंवेदनशील और अहंकारी रवैया है।

संयुक्त बयान मे क्या कहा गया  

इसमें कहा गया है कि पिछले 12 महीनों के दौरान यह आंदोलन दुनिया और इतिहास के सबसे बड़े और सबसे लंबे प्रदर्शनों में से एक बन गया है, जिसमें करोड़ों लोगों ने हिस्सा लिया है और यह भारत के हर राज्य, हर जिले और गांव में फैला हुआ है। बयान के अनुसार, तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले के अलावा, आंदोलन ने किसानों, आम नागरिकों और देश के लिए कई जीत हासिल की है।

एसकेएम ने दिया बयान

एसकेएम ने कहा कि तीन कानूनों का निरस्तीकरण आंदोलन की पहली बड़ी जीत है और वह विरोध कर रहे किसानों की शेष जायज मांगों के पूरा होने का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक आंदोलन के एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर, किसान और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में प्रतिक्रिया दे रहे हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने और दूर-दराज के राज्यों की राजधानियों और जिला मुख्यालयों में मार्च आयोजित करने का आह्वान किया।

विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था डिवीजन जोन -1) दीपेंद्र पाठक ने कहा,

"पर्याप्त सुरक्षा तैनाती की गई है और जमीन पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कड़ी नजर रखेंगे। हम किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पेशेवर पुलिसिंग का उपयोग कर रहे हैं। पुलिस ने बताया कि इस संबंध में गुरुवार को किसान नेताओं के साथ बैठक हुई थी। "

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