न्यूज – वकील सुरेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि कोरोना वायरस के मद्देनजर जनता की ओर से पीएम केअर्स फंड में जमा कराई गई राशि कितनी है? यह जानने का हक हर कोरोना पीड़ित को है।
याची ने कहा है कि उन्हें पता होना चाहिए कि जनता की ओर से इस फंड में कितनी राशि जमा कराई गई और अब तक उसमें से कितनी राशि खर्च की गई है. इस फंड में जमा राशि को आगे किस तरह से खर्च करने की सरकार की योजना है।
याचिका में कहा गया है कि कोरोना पूरे देश में महामारी की तरह फैला हुआ है। बड़ी संख्या में इस वायरस से संक्रमित मरीजों को आर्थिक मदद की जरूरत है, लेकिन मरीजों के पास यह मौलिक अधिकार भी नहीं है कि वो ये जान सकें कि पीएम केअर्स फंड में कोरोना के दौरान आम लोगों की तरफ से दिए गए कितने पैसे अब तक इकट्ठे किए जा चुके हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि कई लोगों की तरफ से पीएम केअर्स फंड में जमा हुई राशि से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए आवेदन किया गया, लेकिन इस संबंध में कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया गया. पीएम केअर्स फंड की तरफ से कहा गया कि वो पब्लिक अथॉरिटी नहीं हैं और आरटीआई एक्ट 2005 के सेक्शन 2(h) के तहत नहीं आते।
याची ने कहा है कि पीएम केअर्स फंड की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मार्च को की थी और उन्होंने कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में सरकार की मदद करने के लिए सभी भारतीयों से इस फंड में आर्थिक मदद भेजने की अपील की थी. याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की अपील के बाद पब्लिक सेक्टर के अधीन आने वाले तमाम विभागों, केंद्रीय मंत्रालयों, सेना, सिविल सर्वेंट, सबने पीएम केअर्स फंड में अपने वेतन से आर्थिक मदद की ।
याचिका में सवाल उठाया गया है कि अगर पीएम केअर्स फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है, तो फिर देश के प्रधानमंत्री ने इसका प्रचार क्यों किया? जनता को सरकार के द्वारा इस सवाल का जवाब दिया जाना जरूरी है. गौरतलब है कि पीएम मोदी की अपील के बाद बड़ी तादाद में लोगों ने पीएम केअर्स फंड में दान दिया था।