Amritpal Singh: सिखों की टॉप संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी (Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee) ने सरकार से भगोड़े अमृतपाल के साथियों को रिहा करने की मांग की है। SGPC के प्रमुख हरजिन्दर सिंह धामी ने सोमवार को कहा कि सरकार 24 घंटे में अमृतपाल के साथियों को रिहा करे वर्ना एसजीपीसी संगठन गांव-गांव जाकर लोगों को जागरुक करेगा।
उधर, पंजाब पुलिस के एक्शन के बाद से अब तक खालिस्तान समर्थक और भगोड़े अमृतपाल का कुछ पता नहीं चला है। पुलिस अब तक उसके कई साथियों को गिरफ्तार कर चुकी है। लेकिन अब अमृतपाल के समर्थकों को जेल से छुड़ाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। सिखों के संगठन एसजीपीसी ने अमृतपाल के साथियों को 24 घंटे के अंदर रिहा करने का अल्टीमेटम दिया है।
वहीं, अकाली दल (बादल गुट) के अमृतसर जिला शहरी प्रधान गुरप्रताप सिंह टिक्का ने कहा कि पुलिस एक शख्स को गिरफ्तार करने के लिए पूरे पंजाब का माहौल बिगाड़ रही है। उधर, अकाल तख्त के जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने भगोड़े अमृतपाल सिंह से पुलिस के सामने सरेंडर करने और जांच में सहयोग करने की अपील की है।
SGPC के प्रमुख हरजिन्दर सिंह धामी ने सोमवार को कहा है कि सरकार 24 घंटे में अमृतापाल के साथियों को रिहा करे। अगर ऐसा न किया गया तो SGPC संगठन गांव-गांव जाकर लोगों को जागरुक करेगा।
धामी ने ऐसे लोगों से उन्हें संपर्क करने के लिए कहा है, जिनके परिवार के किसी भी सदस्य को अब तक पंजाब पुलिस ने इस मामले में पकड़ा है। SGPC ने कहा है कि उन परिवारों से संपर्क के बाद अदालत में याचिका दाखिल की जाएगी। मृतपाल के खिलाफ अब तक हुए एक्शन पर किए गए मीडिया कवरेज को हरजिन्दर सिंह धामी ने सिखों को बदनाम करने की साजिश करार दिया है।
खालिस्तान समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' (Waris Punjab De) के मुखिया अमृतपाल सिंह को लेकर 23 मार्च को बड़ा खुलासा हुआ था। बताया गया कि अमृतपाल सिंह की नजर सिखों की 'मिनी संसद' कहें जाने वाले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी एसजीपीसी पर थी। वह SGPC पर कब्जा करने की फ़िराक में था।
पंजाब पुलिस के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि, अमृतपाल ने इसके लिए पूरी तरह से प्लानिंग कर रखी थी। पता तो ये भी चला है कि अमृतपाल 'अमृत संचार' (Amrit Sanchar) के नाम पर युवाओं को अपने साथ लगातार जोड़ रहा था। दरअसल, वह अमृत संचार के नाम पर अपना वोट बैंक तैयार कर रहा था। फ़िलहाल मामले की जांच में जुटे अधिकारियों के अनुसार, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) पर कब्जा करने का मकसद यह था कि वह खालिस्तानी मूवमेंट (Khalistani Movement) को एसजीपीसी के जरिए चला सके।
आपको बता दें कि, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से सिख धर्म का प्रचार-प्रसार किया जाता है। हाल के वर्षों में SGPC पर शिरोमणि अकाली दल (SAD) का कब्जा रहा है। अमृतपाल सिंह का मंसूबा बादल समर्थकों और विरोधियों को साथ लेकर चुनावी मैदान में उतरने का था। इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अमृतपाल सिंह एसजीपीसी का सदस्य बनने की तैयारी कर रहा था। इसके लिए उसने 'खालसा वहीर' निकालने की तैयारी कर ली थी।