Rajasthan

करौली साम्प्रदायिक हिंसा के बाद समर्थकों का कांग्रेस से होता मोहभंग, राजस्थान कांग्रेस में जारी पॉलिटिकल पलायन

करौली जिले के करीब एक दर्जन पंचायती राज से जुड़े पूर्व जनप्रतिनिधियों ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा कि हाल ही में करौली हिंसा से बेहद दुखी हैं.

Raunak Pareek

करौली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ अब लोग खुलेआम बगावत पर उतर चुके है. करौली जिले के करीब एक दर्जन पंचायती राज से जुड़े पूर्व जनप्रतिनिधियों ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा कि हाल ही में करौली हिंसा से बेहद दुखी है. अगर हिंदुस्तान में रहकर श्रीराम और वंदे मातरम के नारे नहीं लगा सकते तो कहां लगाएंगे ऐसे में हमारा विश्वास कांग्रेस से उठ गया है और हम भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं. 2023 से पहले पलायन का ये छोटा सा घटना क्रम कहीं कांग्रेस के लिए बड़ा घाव ना बन जाए.

भाजपा मुख्यालय में सदस्यता ग्रहण करते कार्यकर्ता

यह तस्वीर है भाजपा मुख्यालय की जहां आंबेडकर जयंती के मौके पर करौली जिले के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाजपा की दामन थामा. भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वालों में कांग्रेसी और बसपा सहित अन्य पार्टियों के लोग शामिल रहे. पूर्व जिला परिषद सदस्य हंसराज मीणा ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर गहलोत सरकार की नीतियों को कोसा. हालांकि हंसराज मीणा को बसपा पहले ही निलंबित कर चुकी है. भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के दौरान तमाम नेताओं ने कहा कि हाल ही में करौली की घटना से हम बेहद दुखी हुए हैं. हालांकि उससे पहले गहलोत सरकार में हम भ्रष्टाचार की घटनाओं से नाराज थे. लेकिन करौली में जो हुआ उससे हमारा विश्वास कांग्रेस से उठ गया. जिस तरह श्री राम और वंदेमातरम के नारे लगाने पर पथराव किया बावजूद इसके दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

अशोक गहलोत- सतीश पूनिया

करौली जिले के सैकड़ों लोगों को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराने के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा. बुधवार को करौली जाने के दौरान गिरफ्तार किए जाने को लेकर सतीश पूनिया ने कहा कि हम पीड़ितों से मिलने जाना चाहते थे, न्यायिक जांच की मांग करना चाहते थे, लेकिन गहलोत सरकार ने हमको करौली नहीं जाने दिया और हिरासत में ले लिया. सांप्रदायिक हिंसा में जिस तरह हिंदुओं को निशाना बनाया गया और उस पर गहलोत सरकार का ढुलमुल रवैये से आम जनता बेहद खफा है. लिहाजा पार्टी की सदस्यता जॉइन करने वाले कार्यकर्ताओं ने मुझसे कहा कि हम करौली की घटना से बहुत दुखी है और पार्टी की सदस्यता ग्रहण करना चाहते हैं.

करौली की घटना से कांग्रेस भुनाकर वोट बैंक बढ़ाती है या भाजपा हिंदूत्ववादी कार्ड खेलकर हिंदुओं को अपने पाले में शामिल करते है ये तो आने वाला वक्त बताएगा.

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