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Rajasthan Politics: सचिन गुट अब आर-पार के मूड में! फाइनल घेराबंदी के लिए 3 स्ट्रैटजी पर काम

Rajasthan Politics: सचिन पायलट इस बार गहलोत की फाइनल घेराबंदी में जुट गए हैं। इसके लिए उनका गुट 3 स्ट्रैटजी पर काम कर रहा है। ऐसे में अब राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर से घमासान मचने वाला है।

Om Prakash Napit

Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस में ऊपर से भले ही शांति नजर आ रही हो, लेकिन भीतर ही भीतर सियासी तपिश उफान पर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की तल्खी एक बार फिर भूचाल जाने को बेताब है। पालयट गुट इस बार आरपार के मूड में है। पार्टी हाईकमान अब तक दोनों के बीच का विवाद सुलझाने में नाकाम रहा है, लेकर अब पायलट गुट बिगूल फूंकने की तैयारी में है।

सूत्रों के अनुसार मकर संक्रांति के बाद सचिन पायलट करीब 5 रैली और रोड शो करेंगे। सभी रैलियां कांग्रेस के गढ़ में होगी, जहां पायलट गुट के मंत्री और विधायक शामिल होंगे। रैली में बेरोजगारी और महंगाई को मुख्य मुद्दा बनाया गया है। पायलट की होने वाली इन रैलियों ने बजट सत्र में जुटी गहलोत सरकार की टेंशन बढ़ा दी है।

फाइनल घेराबंदी की वजह?

चुनाव में 10 महीने से भी कम का वक्त- राजस्थान विधानसभा चुनाव में 10 महीने से भी कम का वक्त बचा है। कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में 5 महीने पहले अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया। इसके बावजूद पार्टी की करारी हार हुई। हार की वजह एंटी इनकंबेंसी को माना गया, जिसे चन्नी 5 महीने में खत्म नहीं कर पाए थे।

पायलट गुट का भी यही तर्क है। अगर मुख्यमंत्री को बदलना है तो इसे जल्द में अमल में लाया जाए, जिससे नई सरकार को काम करने के लिए समय मिल सके।

भारत जोड़ो यात्रा भी राजस्थान से गुजरी- कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत-पायलट गुट में जारी शीतयुद्ध को भारत जोड़ो यात्रा की वजह से रोक दिया था। ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा भी राजस्थान से गुजर चुकी है। पायलट गुट को यही सबसे मुफीद समय लग रहा है, जब अशोक गहलोत के खिलाफ मजबूत घेराबंदी की जा सके।

धैर्य भी अब जवाब दे दिया है- सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट का धैर्य भी अब जवाब दे दिया है। कांग्रेस हाईकमान की तरफ से उन्हें लगातार सबकुछ सही होने का आश्वासन मिलता रहा है, लेकिन अब तक हाईकमान सख्त फैसले लेने में फिसड्डी साबित हुई है।

इसी वजह से सोमवार को जब एक अभियान को लेकर कांग्रेस प्रदेश कमेटी की बैठक थी, तो पायलट उससे नदारद रहे। पायलट गुट का मानना है कि अब अगर फैसला नहीं लिया गया तो चीजें आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगी।

घेराबंदी के लिए ये है 3 स्ट्रैटजी

सचिन पायलट परबतसर, झूंझनूं और शेखावटी में रैली करेंगे। यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां भीड़ जुटाकर पायलट गुट शक्ति प्रदर्शन करेगा।

सोशल मीडिया पर पायलट गुट फिर से मुखर होने लगा है। पायलट के समर्थन में कैंपेन चलाए जाने की तैयारी चल रही है। कई नेता गहलोत के खिलाफ सीधे ट्वीट कर रहे हैं।

विवाद नहीं सुलझने तक प्रदेश स्तर पर होने वाली मीटिंग से पायलट गुट के नेता बायकॉट कर सकते हैं। सोमवार को पायलट ऐसा कर भी चुके हैं।

जानें पायलट गुट की डिमांड

1. अनुशासनहीनता के आरोपी नेताओं पर कार्रवाई

सचिन पायलट गुट की सबसे बड़ी मांग है अनुशासहीनता के आरोपी 2 मंत्री और एक नेता के खिलाफ कार्रवाई की जाए। 25 सितंबर को दिल्ली से मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन को कांग्रेस हाईकमान ने ऑब्जर्वर बना कर भेजा था। मुख्यमंत्री आवास पर विधायकों की मीटिंग होनी थी, लेकिन मीटिंग में 80 से ज्यादा विधायक नहीं आए।

इस पूरे प्रकरण में ऑब्जर्वर ने मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी के अलावा मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ को आरोपी बनाया। इस रिपोर्ट पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे पायलट गुट में भारी नाराजगी है।

2. चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदला जाए

पंजाब की तरह राजस्थान में भी चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने की मांग पायलट गुट लगातार कर रहे हैं। 25 सितंबर की मीटिंग कैंसिल होने के बाद हाईकमान की ओर से कहा गया कि जल्द ही फिर एक मीटिंग आयोजित की जाएगी, लेकिन वो भी ठंडे बस्ते में है।

पायलट गुट का तर्क है कि मुख्यमंत्री अगर जल्द नहीं बदला गया तो राजस्थान में रिवाज के मुताबिक कांग्रेस की हार होगी।

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