डेस्क न्यूज़- पेगासस जासूसी मामले पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनीं और अगली तारीख 10 अगस्त तय की, इस दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर खबर सच है तो आरोप बेहद गंभीर हैं, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील से यह भी पूछा कि क्या आपके पास जासूसी का कोई सबूत है? वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इससे इनकार किया।
मामले की सुनवाई शुरू होते ही मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि अखबार की कतरनों के अलावा आपकी याचिका में क्या है? हमें इसे क्यों सुनना चाहिए? इस पर याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, 'यह तकनीक के जरिए निजता पर हमला है, केवल एक फोन की जरूरत है और हमारी हर हरकत पर नजर रखी जा सकती है, यह राष्ट्रीय इंटरनेट सुरक्षा का भी सवाल है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हम मानते हैं कि यह एक गंभीर मामला है, लेकिन एडिटर्स गिल्ड को छोड़कर सभी याचिकाएं अखबार पर आधारित हैं, जांच के आदेश का कोई ठोस आधार नहीं दिखता है, 2019 में भी यह मुद्दा चर्चा में आया था, अचानक यह फिर से गर्म हो गया है, आप सभी याचिकाकर्ता पढ़े-लिखे लोग हैं। आप जानते हैं कि अदालत किस तरह के मामलों में हस्तक्षेप करती है। इस पर सिब्बल ने कहा, 'यह सच है कि हमारे पास कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है। लेकिन एडिटर्स गिल्ड की याचिका में जासूसी के 37 मामलों का जिक्र है, सिब्बल ने कैलिफोर्निया की एक अदालत में व्हाट्सएप और एनएसओ के बीच एक मुकदमे का हवाला दिया। पेगासस जासूस ने कहा, यह स्पष्ट है, सवाल यह है कि यह भारत में किया गया था या नहीं।
चीफ जस्टिस ने कहा, 'हमने पढ़ा है कि एनएसओ किसी देश की सरकार को ही स्पाइवेयर देता है, कैलीफोर्निया मामले की अब क्या स्थिति है? हमें नहीं लगता कि वहां भी यह बात सामने आई है कि भारत में किसी की जासूसी की गई थी, सिब्बल ने जवाब दिया, 'संसद में असदुद्दीन ओवैसी के सवाल पर मंत्री ने माना है कि भारत में 121 लोगों को निशाना बनाया गया, आगे की सच्चाई तभी पता चलेगी जब कोर्ट सरकार से जानकारी लेगा, कृपया नोटिस जारी करें।
CJI ने पूछा कि हमारे सवाल का जवाब नहीं दिया गया है कि यह मामला दो साल बाद क्यों उठाया जा रहा है? सिब्बल ने जवाब दिया, 'सिटीजन लैब ने नए खुलासे किए हैं, अभी पता चला कि निशाने पर कोर्ट के रजिस्ट्रार और एक पूर्व जज का नंबर भी था, यह स्पाइवेयर मोबाइल कैमरा और माइक ओंकार की सभी निजी गतिविधियों को लीक कर देता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने भी जांच की मांग करते हुए कहा, फ्रांसीसी संस्थान और कनाडाई लैब के प्रयासों से एक नया खुलासा हुआ है, लोगों को यह जानने का अधिकार है कि भारत में इसका इस्तेमाल किसने और किस पर किया? मामले की जांच होनी चाहिए, तब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, अगर आपको पक्का पता है कि आपके फोन की जासूसी हुई तो आपने कानूनी रूप से एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई?
वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा, भारत में कम से कम 40 पत्रकारों की जासूसी की गई है, किसी एक व्यक्ति के फोन टैप करने का कोई मुद्दा नहीं है, इसमें एक बाहरी कंपनी शामिल है, अगर सरकार ने उनसे स्पाइवेयर नहीं लिया, तो किसने किया?यह एक बहुत ही गंभीर मामला है, कश्मीर के किसी भी आतंकवादी की जासूसी सही कहने के लिए नहीं की गई थी।
इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने अपनी दलील में कहा, 'आईटी एक्ट की धारा-43 के तहत हम फोन हैकिंग के लिए मुआवजे की मांग कर सकते हैं, लेकिन बिना जांच के कैसे पता चलेगा कि कौन जिम्मेदार है, इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता एमएल शर्मा ने कहा, 'पेगासस कैमरा, माइक सब कुछ नियंत्रित करता है, एनएसओ ने कैलिफोर्निया की अदालत में कहा कि वह खुद इसे किसी के फोन में नहीं डालते, सरकारों को बेचता है।
सभी दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सभी याचिकाकर्ता अपनी याचिका की एक प्रति सरकार को भेजें, पहले सरकार की ओर से किसी को पेश होने दें, इसके बाद हम नोटिस जारी करने पर विचार करेंगे, मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त मंगलवार को होगी।