न्यूज – मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज मंत्रि-परिषद की पहली बैठक हुई। बैठक में कोरोना महामारी को देखते हुये निर्णय लिया गया कि प्रदेश के ऐसे नगरीय निकाय, जिनकी समयावधि समाप्त हो चुकी थी, में प्रशासकीय समिति का गठन किया जायेगा। समिति में वह सभी निर्वाचित सदस्य रहेगें, जो पूर्ववती निकाय में सदस्य थे और अन्यथा निर्हरित नहीं हुए हैं।
यह समिति एक वर्ष तक या उक्त निर्णय का निर्वाचन होने तक, इन दोनों में से जो भी पहले हो, तक कार्य करेगी। प्रशासकीय समिति की अध्यक्षता संबंधित नगरीय निकाय का मेयर/ अध्यक्ष करेगा । प्रशासकीय समिति के अध्यक्ष तथा सदस्यों के अधिकारों के बारे में राज्य शासन द्वारा अलग से निर्णय लिया जायेगा। बैठक में 23 मार्च 2020 से अभी तक लिये गये निर्णयों से मंत्रि-परिषद को अवगत करवाया गया।
बैठक में प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन, विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, निराश्रित पेंशन आदि का भुगतान दो माह के अग्रिम के रूप में किया जाने का निर्णय लिया गया। बताया गया कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं में 46 लाख हितग्राहियों के खातों में दो माह की पेंशन राशि लगभग 562 करोड़ रूपये अग्रिम जमा करायी गयी है। संनिर्माण कर्मकार मण्डल में पंजीकृत 8 लाख 85 हजार मजदूरों के खातों में प्रारंभ में एक हजार रूपये की सहायता राशि और बाद में एक हजार रूपये की राशि अतिरिक्त रूप से उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया।
ग्राम पंचायतों में पंच परमेश्वर योजना की प्रशासकीय मद में उपलब्ध राशि का उपयोग लोगों के भोजन/आश्रम की व्यवस्था के लिए किये जाने का निर्णय लिया गया। इसमें प्रवासी श्रमिकों एवं अन्य निराश्रितों एवं असहायों के भोजन आदि की व्यवस्था करने के लिये 70 करोड़ रूपये से अधिक की राशि जारी की गई है।
मध्यप्रदेश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को, जो अन्य राज्यों में फंसे हैं, उनकी तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये उनके बैंक खाते में एक हजार रूपये भेजने का निर्णय लिया गया । प्रत्येक जिले के लिये राहत शिविरों की व्यवस्था के लिये दो करोड़ रूपये तथा अन्य आकस्मिक व्यवस्थाओं के लिये एक करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। मध्यप्रदेश में लॉकडाउन के कारण फंसे अन्य 22 राज्यों के 7000 प्रवासी श्रमिकों को भी उनकी तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये प्रति मजदूर एक हजार रूपये सहायता देने का निर्णय लिया गया ।
राज्य शासन द्वारा कोविड योद्धा कल्याण योजना 2020 लागू करने का निर्णय लिया गया है। कोरोना के विरूद्ध अभियान के अंतर्गत कर्तव्य के दौरान उसमें तैनात अधिकारी/कर्मचारी की संक्रामकता के कारण मृत्यु होती है, तो उसके परिवार को 50 लाख रूपये की सहायता राशि दी जायेगी। इससे वे सभी अधिकारी/ कर्मचारी लाभान्वित होंगे, जिन्हें भारत शासन की बीमा नीति के लाभ की पात्रता नहीं बनती।
कोविड-19 की असामान्य परिस्थितियों से निपटने के लिए यह भी निर्णय लिया गया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए जिला कलेक्टर्स, विधायक निधि की राशि का उपयोग कोरोना टेस्टिंग किट्स/पीपीई किट्स / वेंटीलेटर्स/ फेस मास्क/ग्लव्स/ इन्फ्रारेड थर्मामीटर आदि चिकित्सा उपकरणों को क्रय करने में कर सकेंगे।
प्रदेश के 22 जिलों में जिला खनिज निधि में प्रतिवर्ष एकत्रित होने वाली 500 करोड़ रूपये की राशि एकत्र होती है। राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि का एक तिहाई अर्थात 30 प्रतिशत राशि को इन्ही जिलों में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण एवं बचाव के लिये – दवाएं, बेड्स, वेंटीलेटर्स, मास्क, सेनिटाईजर आदि आवश्यक कार्यों में के लिए उपयोग किया जा सकेगा।
ग्राम पंचायतों को प्राप्त़ 14वें वित्त आयोग की राशि का 2.5 प्रतिशत सेनेटाइजर एवं मास्क की खरीदी पर व्यय किये जाने सम्बन्धी निर्देश प्रसारित किये गए हैं। प्रदेश के 26 कोरोना प्रभावित जिलों की नियमित निगरानी एवं पर्यवेक्षण तथा समन्वय के लिये भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारीयों को जिलों का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है।
प्रदेश में सरकार द्वारा कोरोना टेस्टिंग क्षमता बढाने का निर्णय लेकर इस दिशा में सघन प्रयास किये गये। जिसकी बदौलत प्रदेश में मान्यता प्राप्त टेस्टिंग लैब्स की संख्या 4 से बढ़कर 11 तक पहुंची और टेस्टिंग क्षमता प्रतिदिन लगभग 200 टेस्ट से बढ़कर 1800 टेस्ट प्रतिदिन हुई I टेस्टिंग शीघ्र कराने के उद्देश्य से निरन्तर सैम्पल स्टेट प्लेन से दिल्ली भी भेजे जा रहे हैं।
प्रदेश में त्वरित निर्णय लेकर किये गए युद्ध स्तर के प्रयासों से अब लॉजिस्टिक्स के मामले में प्रदेश की स्थिति संतोषजनक है, वर्तमान में प्रदेश में पीपीई किट्स, एन 95 मास्क, 3 लेयर मास्क, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन टेबलेट और ऑक्सीजन सिलेंडर आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।