डेस्क न्यूज़- सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले में मौत की सजा पाए चार दरिंदों में से एक मुकेश कुमार सिंह की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया। मुकेश ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दी थी। कोर्ट बुधवार को इस पर फैसला सुनाएगा।
इससे पहले सुनवाई के दौरान जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने मुकेश के वकील से पूछा कि आप यह दावा कैसे कर सकते हैं कि राष्ट्रपति ने बिना ध्यान दिए याचिका खारिज कर दी? इस पर मुकेश की वकील अंजना प्रकाश ने कहा, राष्ट्रपति के समक्ष सभी तथ्य नहीं रखे गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल में मुकेश से दुर्व्यवहार हुआ। उसका मानसिक और यौन शोषण किया गया। उसे इसी मामले में एक अन्य दोषी अक्षय के साथ कुकर्म करने के लिए मजबूर किया गया। यही नहीं उसे गैरकानूनी तरीके से एकांत में रखा गया।
उन्होंने दलील दी कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर विचार एक सांविधानिक जिम्मेदारी है और इस पर फैसला लेते वक्त लोगों की भलाई देखी जानी चाहिए। मेरे मुवक्किल को एकांत में रखा जाना, इस मामले में याचिका और सुनवाई की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने में देरी ही इस याचिका पर गौर करने का आधार है।
इस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा, ऐसे जघन्य अपराधी से जेल में दुर्व्यवहार दया का आधार नहीं हो सकता। गृह मंत्रालय ने उसके पूरे दस्तावेज राष्ट्रपति को सौंपे थे। राष्ट्रपति ने इसलिए जल्दी फैसला लिया क्योंकि विलंब का दोषियों पर अमानवीय असर पड़ सकता है। मेहता ने मुकेश को एकांत में रखने के आरोप को भी गलत बताते हुए उसकी याचिका खारिज करने की मांग की। पीठ ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।