Ram Mandir: 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। मंदिर के निर्माण में लगभग तीन सालों का समय लग गया है।
मंदिर के निर्माण में श्रीराम लिखे हुए ईटों को इस्तेमाल किया गया है। कुछ ऐसी पुरानी ईंटें है, जो लगभग 30 वर्ष से अधिक समय से उपयोग में नहीं आ रही थी। जिसे रामशिला कहा जाता है।
मंदिर का निर्माण प्राचीन पद्धति से किया जा रहा है। यहां की दिवारों पर तमाम तरीके की मूर्तियों की नक्काशी की गई है।
इस मंदिर में कही भी लोहे या स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस मंदिर को सोमपुरा आर्किटेक्ट ने डिजाइन किया है। आपको बता दें कि सोमपुरा परिवार हजारों सालों से मंदिर और भवन निर्माण में पारंगत है।
राम मंदिर निर्माण में मकराना पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मकराना के इन पत्थरों का इस्तेमाल ताजमहल में भी हुआ है।
मकराना पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध है। ये राजस्थान के डीडवाना जिले में मकराना क्षेत्र में पड़ता है। जहां पर यह पत्थर पाया जाता है।
इस पत्थर की खासियत ये होती है कि ये काफी लचीला होता है। इस पत्थर से किसी भी आकृति को आसानी से बनाया जा सकता है।
राम मंदिर के निर्माण में देश के 25 जगहों से मिट्टी को एकत्रित कर के लाया गया है। इसके साथ ही पवित्र नदियों के पानी का इस्तेमाल किया गया है। भगवान राम के साथ ही कई आराध्य की मूर्तियां भी स्थापित की जाएगी।