ब्यूरो रिपोर्ट. बीते कुछ दिनों से इंटरनेट कंप्यूटर की तकनीकी समस्या हल करने को लेकर बहुत बड़ा स्कैम चल रहा है। इसमें यूजर्स से उनके पीसी की प्रॉब्लम सॉल्व करने के नाम पर डेटा हैक किया जाता है। उसके बाद पीसी की समस्या को गंभीर बता कर यूजर्स से मुह मांगी कीमत मांगी जाती है।
वहीं यूजर्स भी डेटा हैक होने की स्थिति में मजबूर वश मुह मांगी कीमत अदा कर रहा है। ये पूरा मामला गुड़गांव बेस्ड एक आईटी सॉल्यूश कंपनी माय टेक बे का है। जिसके खिलाफ यूजर्स की ओर से इंटरनेट पर जमकर शिकायत की जा रही है।
इसके ओनर्स अमर पहवा और अनुज टंडन है। हालाकि इन्होंने कंपनी का निदेशक रूपी पहवा और आरती टंडन को बना रखा है।
एक यूजर के पर्सनल कंप्यूटर में तकनीकी समस्या आई। उसने बताया कि अचानक उसके कंप्यूटर में पॉपअप आया और ऐसा लगा कि उसका कंप्यूटर लॉक हो गया। वहीं पॉप-अप में तकनीकी सहायता और सुधार के लिए टोल फ्री नंबर दिया गया था।
जब यूजर ने उस नंबर पर फोन घुमाया तो दूसरी तरफ किसी आशीष नाम के व्यक्ति ने फोन उठाया। उसने यूजर को www.support.me पर जाकर एप डाउनलोड करने के लिए कहा। यह एप दूसरे यूजर्स के पीसी कंट्रोल करने की परमीशन देने वाली थी। यूजर को कंप्यूटर की तकनीकी समस्या सुधरवानी थी, इसलिए उसने एप डाउनलोड कर ली।
डाउनलोड करने के बाद पूरा कंट्रोल सामने वाले आशीष नाम के व्यक्ति के पास चला गया। इसके बाद उसने कई कमांड फॉलो की बात कह कर घुमता रहा। तब तक पीसी का पूरा कंट्रोल और डेटा उसके पास जा चुका था। उसने कहा कि आपका पीसी को तकनीकी रूप ठीक करने की जरूरत है, इसकी आपको कीमत चुकानी होगी।
उसने तुरंत दो तीन प्लान की कीमत बताई। असल में ठगी करने वाले माइक्रोसॉफ्ट टेक्निकल असिस्टेंस टीम का हिस्सा बताकर किसी के कंप्यूटर और प्रिंटर में खराबी आने पर ये कंप्यूटर को रिमोट पर लेते हैं। और उसे ठीक करने की बात कह डेटा हैक कर लेते हैं।
यूजर ने बताया कि पूरे फॉन कॉल में ऐसा लग रहा था कि कंपनी का मकसद घुमाफिरा कर मोटी रकम वसूलना ही था। कॉल पर कंपनी के रिप्रजेंटेटिव ने दावा किया की वो इंडिपेंडेंटली सपोर्ट हैल्प प्रदाता है।
कंप्यूटर निर्माता से कम दामों में वो फायरवॉल समस्या को हल कर देगी। जबकि ऐसा नहीं था। यूजर ने बताया कि वास्तव में कोई समस्या आती है तो सीधे कंप्यूटर निर्माता से अलर्ट मिलता है। ये सोच कर मैंने तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।
हमनें इसकी जानकारी कंप्यूटर निर्माता कंपनी को भी भेजी कि कैसे माय टैक बे कंपनी कंप्यूटर में स्पैम क्रिएट और फिर उसी के सॉल्यूशन के नाम पर यूजर्स से मोटी रकम वसूलने का स्कैम कर रही है।
इस पूरे मामले में गौर करने की बात ये है कि माय टैक बे कंपनी कैसे चालबाजी के माध्यम से टेक्नीकल सपोर्ट देने के नाम पर लोगों को पैसे देने के लिए बरगलाने की कोशिश कर रही है।
एक कंप्लैन और रिव्यू साइट आंसर माइक्रोसॉफ्ट पर एक अन्य यूजर ने लिखा कि यदि माय टेक बे यदि फोन, इमेल और पॉपआप के जरिए आपसे जुड़ी है और आपकी स्क्रीन लॉक हो गई है तो ये सत्य है। यूजर्स की इन शिकायतों पर गौर करें तो इसका सीधा अर्थ है कि कंपनी बड़े स्तर पर टेक्नीकल सपोर्ट के नाम पर यूजर्स से पैसे एंठने के कार्य में संल्प्ति है।
यही नहीं ये जानकारी भी सामने आई है कि ये फर्जी कंपनी ट्रैवल मैट्रिक्स नाम से भी टूर पैकेज सेल करने की भी साइट रन करती है। इसमें भी इंटरनेट पर यूजर्स ने शिकायत की है कि उन्हें टूर पैकेज देने के नाम पर लूटा जा रहा है।
यूजर्स ने बताया कि कंपनी टूर पैकज ऑफर करने के दौरान बेहतरीन डेस्टनिशंस के सब्जबाग दिखाती है, लेकिन जब यूजर की ओर से पैकेज बुक कर लिया जाता है तो उन्हें कोई और डेस्टीनेशंस थमा दिया जाता है। जब यूजर पैकेज कैंसिल करता है तो यूजर्स से कैंसिलेशन चार्ज के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है।
इस तरह की टेक्नीकल सपोर्ट को लेकर ठगी के मामले ज्यादा विदेशों में होते हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं। भारत में भी होने लगी हैं। लेकिन हैरानी की बात ये हैं इस तरह के ज्यादातर साइबर क्राइम के केस में पुलिस को ये पता नहीं चल पाता है कि पीड़ित के साथ ठगी किस रूप में हुई है, क्योंकि जब भी ऐसा कोई मामला सामने आता है तो ठगी करने वाली कंपनी ये तर्क दे सकती है कि उसने यूजर से सर्विस का पैसा लिया है। बस यही ठगी करने वाली कंपनी बच निकलती है। ऐसे में गहन जांच करने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि पीड़ित संबंधित कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए‚ ताकि पुलिस इस आधार पर आगे की कार्रवाई कर सके।मुकेश चौधरी, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट
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