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स्टार्टअप

जानिए भारत कैसे बना $332.7 बिलियन की टोटल वैल्यू में 100 Unicorn Startup वाला देश

ChandraVeer Singh

भारत अब यूनिकॉर्न कंपनियों के केंद्र के तौर पर दुनियाभर में (India's startup ecosystem first priority) अपनी जड़े मजबूत कर रहा है। वजह ये कि भारत में 2022 के पहले चार महीनों में ही 14 स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न कैटेगिरी में शामिल हो गई हैं। इस उपलब्धि के बाद भारत वर्तमान में विश्व स्तर पर प्रत्येक 10 में से 1 यूनिकॉर्न को स्थापित करने वाला देश बन गया है। बता दें कि 'यूनिकॉर्न' शब्द उन स्टार्टअप्स को परिभाषित करता है जो $ 1 बिलियन से अधिक की वैल्यु हासिल कर लेती हैं। ऐसे में अब भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम (India's startup ecosystem) यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्थान रखता है। वहीं इंडिया अब 100 यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स (100 unicorn startups in india) का गढ़ बन गया है। इनकी कुल वैल्यू 332.7 बिलियन डॉलर है।

बता दें कि भारत में एक स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने में लिए न्यूनतम 6 माह और अधिकतम समय 26 वर्ष है। पिछले साल, भारत बीते साल 93 अरब डॉलर के कुल वैल्यू के साथ 44 यूनिकॉर्न वाला देश बना था। वहीं अब 2022 के पहले चार महीनों में, भारत को 18.9 बिलियन डॉलर के कुल वैल्यू के साथ 14 यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स मिले।

फाइनेंशियल ईयर 2016-17 तक हर साल लगभग 1 यूनिकॉर्न स्टार्टअप जुड़ा। हालांकि पिछले चार वर्षों में (फाइनेंशियल ईयर 2017-18 से) इसे बदलाव आया क्योंकि यह संख्या अब तेजी से बढ़ रही है।

STARTUP INDIA की शुरुआत से अब तक देश में 69 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स को मान्यता दी गई

गौरतलब है कि 16 जनवरी, 2016 को पहली बार शुरू होने के बाद से, देश में 2 मई, 2022 तक 69,000 से अधिक स्टार्टअप को मान्यता दी गई है। ये स्टार्टअप 56 विभिन्न क्षेत्रों में सॉल्यूश दे रही हैं। इनमें आईटी सर्विसेज से 13 प्रतिशत, 9 प्रतिशत हेल्थ केयर और लाइफ साइंसेज में सॉल्यूशन दे रही हैं। इसी तरह 7 प्रतिशत एजुकेशन, 5 प्रतिशत प्रोफेशनल और क​मर्शियल सर्विसेज, 5 प्रतिशत एग्रीकल्चर और 5 प्रतिशत फूड और बेवरेज के क्षेत्र के स्टार्टअप्स शामिल हैं।
भारतीय स्टार्टअप्स विश्वस्तर पर प्रोडक्ट्स स्टेब्लिश कर रहे
स्टार्टअप विशेषज्ञों की मानें तो कुछ कंपनियों ने साबित किया है कि भारत से बाहर ग्लोबल लेवल पर मल्टीपल वैल्यूएशन कंपनियों को तैयार किय जा सकता है। स्टार्टअप कंपनियों ने दिखा दिया है कि इंडिया के बाहर भी लाखों करोड़ों डॉलर के रेवेन्यू देने वाले प्रोडक्ट को स्टेब्लिश किया जा सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब ज्यादातर लोग भारत से बाहर ग्लोबल SaaS कंपनियों की शुरुआत करेंगे।
दूसरी ओर देखा जाए तो फाइनेंशियल सर्विसेज भी एक बड़ा मार्केट है इसमें लाभ कमाने के बेतहाशा मौके हैं, ऐसे में भारत और साउथ ईस्ट एशिया में इस सेक्टर में करीब 40-50 कंपनियां मौजूदा समय में निवेश कर रही हैं।
इंडिया का स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा इन्वेस्टर्स की फर्स्ट प्रायोरिटी (India's Startup Ecosystem First Priority)
मार्केट ट्रेड पंडितों का भी कहना है कि आज अमेरिका और चीन के बाद तीसरी सबसे अधिक संख्या में यूनिकॉर्न भारत में मौजूद हैं। ऐसे में भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम लगभग सभी ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए पहली प्राथमिकता बना हुआ है। इसकी वजह ये है कि इंडियन आंट​प्रिन्योर्स की तेजी से ग्रोथ हासिल करने की कैपेसिटी में परफेक्ट होने के साथ भारतीय डिजिटल तकनीक पर बिजनेस क्वालिटी का मजबूत होना। यही सही मौका है जब इंडियन आंटप्रिन्योर्स को इस ग्लोबल दिलचस्पी के अवसर का लाभ लेना चाहिए।

यूनिकॉर्न (Unicorn Startups) ने अनुकूल इकोस्स्टिम तैयार करने में अहम भूमिका अदा की

स्टार्टअप एनालिस्ट्स मानते हैं कि ये ग्रोथ भारतीय इकोसिस्टम (India's startup ecosystem) में एक मूलभूत बदलाव की ओर इशारा है। एक ओर जहां स्टार्टअप अधिकतर सेगमेंट में रोजगार के अवसर दे रहे हैं जोकि ब्लू और वाइट कॉलर जॉब दोनों ही तरह के हैं। वहीं दूसरी ओर ये स्टार्टअप कंज्यूमर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार इनोवेशंस की ओर अग्रसर हैं। दरअसल कुल मिलाकर माना जाए तो यूनिकॉर्न ने सभी क​मर्शियल क्षेत्रों में पार्टनर्स और स्टेकहोल्डर्स के लिए अनुकूल इकोसिस्टम को डवलप करने में भी अहम रोल अदा किया है।
आज की यूनिकॉर्न उनके 10 साल पहले की गई मेहनत का नतीजा
इधर ग्लोबल इन्वेस्टर्स का ये भी मानना है कि वैल्यूएशन इश्यू हमेशा से कॉन्वर्सेशन का सब्जेक्ट रहा है। ऐसे में जब कोई भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम (India's startup ecosystem) का रुख करता है तो उन्हें ये भी सोचना चाहिए कि आज जो यूनिकॉर्न बने रहे हैं, वो उनके करीब 10 साल पहले शुरुआत किए गए स्टार्टअप में दी गई मेहनत का ही परिणाम है।
वर्तमान में यूनिकॉर्न्स (Unicorn Startups) की संख्या बीते 10 साल की तुलना में काफी ज्यादा है। जैसे उदाहरण के तौर पर करीब 10 साल पहले फ्लिपकार्ट कंपनी से पहले शायद ही कोई स्टार्टअप कंपनी थी जिसकी वैल्युएशन एक अरब डॉलर से ज्यादा पहुंची हो। ऐसे में हर बार जब कोई कंपनी यूनिकॉर्न सक्सेस हासिल करती है, तो दूसरे स्टार्टअप्स शुरू करने वालों में भी उम्मीद जगती है कि एक दिन वे भी ऐसा कर सकते हैं। इसमें किसी को तो मेंटोर बनना होगा, क्योंकि जितनी ज्यादा संख्या में लोग यूनिकॉर्न बनने का एग्जाम्पल सेट करेंगे, उतने ही ही अधिक लोगों का विश्वास मजबूत होगा और वे यूनिकॉर्न सक्सेस पाना शुरू करेंगे।

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