अन्तरराष्ट्रीय

महंगाईः भारत पर 200 साल राज करने वाला ब्रिटेन कंगाली की राह पर

अप्रैल 2022 के दौरान ब्रिटेन की जीडीपी में 0.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। वहीं मई में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही। ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत है।

Lokendra Singh Sainger

कुलदीप चौधरी-

भारत पर 200 साल तक राज करने वाले ब्रिटेन के आज बहुत ही खराब हालात से गुजर रहा है। ब्रिटेन में महंगाई 9% बढ़ गई है। ये महंगाई उच्च शिक्षा अर्जित करने वाले विदेशी छात्रों को बहुत प्रभावित कर रही है। विदेशी छात्रों के सामने लिविंग क्राइसिस तेजी से बढ़ रही है। ये छात्र वहांरहने का किराया भी नहीं दे पा रहें है। हालात इतने बुरे हो गए कि जो छात्र अपने रिश्तेदारों के घर पर रह रहें थे बढ़ती महंगाई के कारण उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। ऐसे में छात्रों को मजबूर हो कर सड़कों पर ही सोना पड़ रहा है।

सड़को पर सोने को मजबूर 12% विदेशी छात्र

हायर एजुकेशन पॉलिसी इंस्टिट्यूट में प्रकाशित नेशनल यूनियन ऑफ़ स्टूडेंट इन स्कॉटलैंड के सर्वे के अनुसार १२ % विदेशी छात्रों के पास रहने को घर नहीं है, सर पर छत नहीं है। ५.३% ड्राप आउट और हल ही में पास आउट हुए छात्र भी इसी समस्या से जूझ रहें है।

इस बेहाल कर देने वाली गर्मी में सबसे ज्यादा परेशानी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों को हो रही है। रहने के साथ-साथ छात्रों को भोजन और बिजली के दामों ने पसीने छुड़ा रखे है। कई यूनिवर्सिटी के छात्रों को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है लेकिन यूनिवर्सिटी कि तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।

पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रहें छात्र

छात्रों को पढ़ाई के आलावा अतिरिक्त खर्चे के लिए तनाव का सामना करना पड़ रहा है। होमलेस होने व महंगाई के कारण छात्र पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रहें हैं। उनका ध्यान तो खाने-पीने व रहने की समस्याओं पर ही रहता है। इससे पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों की मानसिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है।

क्या है महंगाई की असल वजह ?

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद से आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ने से ब्रिटेन समेत तमाम देशों में मुद्रास्फीति एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है।

इस वजह से खाद्य उत्पादों एवं ईंधन की कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं जिससे आम जनजीवन पर बहुत गहरा असर पड़ा है। इस साल खाद्य मद्रास्फीति 9.8 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है, जबकि पेट्रोल एवं डीजल के दाम बीते साल में 42.3 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।

मोटर ईंधन और भोजन की बढ़ती कीमतों के बीच, ब्रिटेन का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) जून के 12 महीनों में 9.4 फीसदी बढ़ा, जो 40 साल के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया।

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