विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में कहा कि एनएसजी का सदस्य बनने के लिए किसी भी देश के लिए आम सहमति जरूरी है। हमारे मामले में ऐसे कुछ देशों की चिंताएं वाजिब हैं और वे इस पर चर्चा करना चाहते हैं। लेकिन कुछ देश अपने अलग एजेंडे पर काम कर रहे हैं और अड़चनें पैदा कर रहे है।  तस्वीर- The Hindu
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भारत को NSG सदस्यता दिलाने में अड़चन बना चीन लेकिन‚ हम कोशिश करते रहेगें:विदेश मंत्री एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में कहा कि एनएसजी का सदस्य बनने के लिए किसी भी देश के लिए आम सहमति जरूरी है। हमारे मामले में ऐसे कुछ देशों की चिंताएं वाजिब हैं और वे इस पर चर्चा करना चाहते हैं। लेकिन कुछ देश अपने अलग एजेंडे पर काम कर रहे हैं और अड़चनें पैदा कर रहे है।

Lokendra Singh Sainger

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिना नाम लिए चीन जैसे देशों पर निशाना साधा, जो भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता दिलाने में बाधा उत्पन्न कर रहे है। लोकसभा में जयशंकर ने कहा कि एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर कुछ देशों की वाजिब चिंताएं है, लेकिन कुछ देश ऐसे भी है जिनका अपना एजेंडा है और वे हमारे रास्ते में रोड़ा बन रहे है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बुधवार को लोकसभा में मास डिस्‍ट्रक्‍शन एंड देयर डिलीवरी सिस्‍टम (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि किसी भी देश को एनएसजी का सदस्य बनने के लिए, एक आम सहमति की जरूरत होती है। आप में से बहुत से लोग जानते है कि हमारे मामले में यह सहमति क्यों नहीं बन पा रही है। कुछ देश ऐसे है जिनकी चिंता जायज है और वे इसके बारे में बात करना चाहते हैं। लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं, जो अपने अलग एजेंडे पर काम कर रहे है और इस आम सहमति के रास्ते में रोड़ा अटका रहे हैं।

एनएसजी दुनिया में परमाणु सामग्री और संबंधित प्रौद्योगिकी का व्यापार करने वाले देशों का एक विशिष्ट संगठन है। यह परमाणु हथियारों के अप्रसार को रोकने की जिम्मेदारी भी निभाता है। इसमें 48 सदस्य देश हैं। भारत इस संगठन में शामिल होने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा है।

आपको बता दें कि एनएसजी दुनिया में परमाणु सामग्री और संबंधित प्रौद्योगिकी का व्यापार करने वाले देशों का एक विशिष्ट संगठन है। यह परमाणु हथियारों के अप्रसार को रोकने की जिम्मेदारी भी निभाता है। इसमें 48 सदस्य देश हैं। भारत इस संगठन में शामिल होने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा है।

इस परमाणु क्लब में किसी भी नए सदस्य के प्रवेश के लिए सदस्य देशों के बीच आम सहमति की आवश्यकता होती है लेकिन चीन भारत का कड़ा विरोध करता रहा है। चीन का कहना है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का सदस्य नहीं है इसलिए उसे एनएसजी का सदस्य नहीं बनाया जा सकता। चीन के लगातार विरोध के कारण भारत NSG का सदस्य नहीं बन पा रहा है।

बुधवार को लोकसभा में विदेश मंत्री जयशंकर ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि हम इस पर काम कर रहे है। 2014 के बाद हमारी स्थिति बहुत बदल गई है। हम मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर), वासेनार समूह और ऑस्ट्रेलिया समूह के सदस्य बन गए है। इसने दुनिया की हथियारों की होड़, निरस्त्रीकरण और प्रसार प्रणाली और प्रयासों में हमारे योगदान को बहुत बढ़ा दिया है। हमारी प्रतिष्ठा भी काफी बढ़ी है।

जयशंकर ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जनसंहार के हथियारों और उनकी वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) संशोधन अधिनियम के पारित होने से न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि दुनिया में इसकी प्रतिष्ठा और बढ़ेगी।

जयशंकर ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जनसंहार के हथियारों और उनकी वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) संशोधन अधिनियम के पारित होने से न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि दुनिया में इसकी प्रतिष्ठा और बढ़ेगी।

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