मार्च से शुरू हो रहे नए वित्तीय वर्ष में आपको शायद कागज के नोट बाजार में खरीदारी के लिए ले जाने न पड़ें। वजह ये कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में अपनी डिजिटल मुद्रा यानी डिजिटल रुपया लॉन्च करने की घोषणा की है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अपने बजट भाषण के दौरान ये जानकारी दी है। वहीं वित्त मंत्री ने बिटकॉइन आदि जैसी पहले से बाजार में मौजूद क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने काी कोई बात फिलहाल नहीं की है। लेकिन वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर अब 30% कर देना होगा। जिसकी घोषणा आज के बजट में मंत्री ने कर दी है।
ये बहुत डिफरेंट होगी। मसलन आप अपने आसा पास देख रहे होंगे की बैंक ट्रांजेक्शन, डिजिटल वॉलेट या कार्ड भुगतान के माध्यम से डिजिटल लेनदेन किया जा रहा है, फिर डिजिटल मुद्रा अलग कैसे हो गई? अभी जो डिजिटल ट्रांजैक्शन हो रहा है, वह है बैंक अकाउंट में जमा पैसे का ट्रांसफर हो रहा है। लेकिन सीबीडीसी करेंसी नोटों की जगह लेने वाला है।
यह समझना बहुत जरूरी है कि ज्यादातर डिजिटल पेमेंट चेक की तरह काम करते हैं। आप बैंक को निर्देश देते हैं और वह आपके खाते में जमा राशि से 'असली' रुपये की तरह भुगतान या लेनदेन करता है। हर डिजिटल ट्रांजैक्शन में कई कंपनियां या संस्था के लोग शामिल होते हैं, जो इस प्रक्रिया को पूरा करते हैं।
एग्जाम्पल के तौर पर यदि आपने क्रेडिट कार्ड से भुगतान किया है, तो क्या दूसरे व्यक्ति को इमिजेट मिल जाता है? बिल्कुल नहीं, बल्कि डिजिटल भुगतान को फ्रंट-एंड के खाते तक पहुंचने में एक मिनट से लेकर 48 घंटे तक का समय लगता है। यानी भुगतान तुरंत नहीं होता, इसकी एक पूरी प्रक्रिया होती है।
डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपये के पेंमेंट में कोई मिडिएटर नहीं होगा। इसमें आपने भुगतान कर दिया और दूसरी तरफ ये उसी दौरान राशि मिल जाए यही इसकी खूबी है। अभी जो डिजिटल ट्रांजैक्शन हो रहा है, वह है बैंक अकाउंट में जमा पैसे का ट्रांसफर हो रहा है। लेकिन सीबीडीसी करेंसी नोटों की जगह लेने वाला है।
अभी जो डिजिटल ट्रांजैक्शन हो रहा है, वह है बैंक अकाउंट में जमा पैसे का ट्रांसफर हो रहा है। लेकिन सीबीडीसी करेंसी नोटों की जगह लेने वाला है।
डिजिटल करेंसी कॉन्सेप्ट ज्यादा नया नहीं है। यह बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से लिया गया कॉन्सेपट है, जो साल 2009 में लॉन्च की गइ् थी। इसके बाद ईथर, डॉगकॉइन से लेकर पचास क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च की गई है। वर्षों से यह एक नए परिसंपत्ति वर्ग के रूप में विकसित हुआ है जिसमें लोग निवेश कर रहे हैं।
निजी क्रिप्टोकरेंसी निजी लोगों या कंपनियों द्वारा जारी की जाती हैं। इसकी निगरानी नहीं करता। लोग गुमनाम रूप से लेनदेन कर रहे हैं, जिसके कारण आतंकवादी घटनाओं और अवैध गतिविधियों में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया जा रहा है। वे किसी भी केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित नहीं हैं। यह मुद्रा सीमित होती है, जिसके कारण इसका मूल्य आपूर्ति और मांग के अनुसार बदलता रहता है। एक बिटकॉइन की कीमत 50% तक गिर गई है।
सरकार की डिजिटल रुपये की बात करें तो इसे केंद्रीय बैंक द्वारा पूरी दुनिया में लॉन्च किया जा रहा है, वहीं हमारे यंहा भारतीय रिजर्व बैंक इसे लॉन्च करेगा। इसमें न तो मात्रा की लिमिट हागी और न इसमें कोई फाइनेंशयिल या करेंसी आब्जर्वेशन का कोई इश्यू होगा।
जानकाराें के अनुसार आरबीआई की डिजिटल मुद्रा की शुरूआत बिटकॉइन या क्रिप्टोकरेंसी को प्रभावित नहीं करेगी। क्रिप्टोकरेंसी एक तरह की संपत्ति बन गई है, जिसका दुनिया भर में कारोबार होता रहेगा। भारत इसमें पीछे नहीं रह सकता है।
एक रुपये के सिक्के और डिजिटल रुपये की ताकत बराबर होगी। लेकिन डिजिटल रुपये की निगरानी संभव होगी और किसके पास कितना पैसा है, यह रिजर्व बैंक को पता चल जाएगा।
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