Gujarat Assembly Election: गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए अब महज दो दिन बचे है। 1 दिसंबर को पहले चरण की 89 सीटों पर वोटिंग होगी। ऐसे में सियासी दलों ने मतदाताओं को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। सत्ताधारी भाजपा जहां आक्रामक प्रचार कर रही है। रोज हर विधानसभा सीटों पर बड़े नेताओं की रैली, सभा और रोड शो करवाई जा रही है। वहीं कांग्रेस ने गांवों और खासकर आदिवासी क्षेत्रों में छोटी-छोटी सभाएं कर रही है। पार्टी ने शहरी इलाके लगभग छोड़ दिए है।
चुनावों में जहां सत्ताधारी भाजपा मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। वहीं आम आदमी पार्टी अलग अलग क्षेत्रों में रोड शो कर माहौल पक्ष में करने की कोशिशों में जुटी हुई है। हर दिन भाजपा, कांग्रेस और आप मिलकर 150 से ज्यादा और रोड़ शो कर रही है। इनमें भाजपा एक दिन में 100 से ज्यादा रैली और सभा कर रही है। ऐसे में प्रचार को लेकर भी भाजपा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर पूरी तरह हावी दिख रही है।
इसी बीच भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रबंधन की फीडबैक यूनिट से दिल्ली पहुंची पिछले 15 दिन रिपोर्ट में करीब 50 ऐसी सीटों का जिक्र किया जो पार्टी के लिए कमजोर कड़ी है। इसमें बताया गया है कि केंद्र और राज्य की योजनाओं के लाभार्थियों को साधने के लिए भाजपा को नए सिरे से प्रयास करने होगे। क्योंकि विरोधी दलों ने भी इन लोगों से नए वादों के साथ संपर्क किया है। भाजपा की इस आंतरिक रिपोर्ट में जनसंपर्क अभियान तेज करने और डोर टू डोर कैंपेन बढ़ाने का सुझाव दिए गए है।
जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रचार के दौरान 16 जिलों की 109 सीटों पर कवर करने की तैयारी की है। इसमें 25 रैलियां है। प्रचार के दौरान पीएम का फोकस उन पर सीटों पर था जहां 2017 में 45 सीटें हारे थे। इसके अलावा पीएम ने अपना फोकस राज्य के आदिवासी बेल्ट पर भी किया। पीएम ने कैंपेन के दौरान 21एससी और एसीटी सीटों पर भी पहुंचे।
अंतिम दिनों में पीएम अब डोर टू डोर कैंपेन और रोड शो करते हुए नजर आएंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने 20 से 22 नवंबर के बीच 10 सीटों पर प्रचार किया। इनमें से पिछली बार भाजपा सीट हार गई थी। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, 6 राज्यों के सीएम, 10 से ज्यादा केंद्रीय मंत्री,आधा दर्जन सांसद और स्टार प्रचारक भी मैदान में उतरे है। यह लोग रोज करीब 90 सभाएं कर रहे है।
पिछली बार की तुलना में इस बार कांग्रेस पार्टी की रणनीति बिल्कुल अलग है। अब तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सिर्फ दो सभाएं की है। इसमें भी वे आदिवासी इलाके में पहुंचे। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने एक रणनीति के तहत राहुल गांधी को इस चुनाव से दूर रखा है। गुजरात का चुनाव मोदी बनाम गांधी परिवार नहीं हो जाए। इसलिए राहुल इस चुनाव से नदारद है। कांग्रेस अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए आदिवासी इलाकों के साथ साथ शहरी क्षेत्रों में डोर टू डोर कैंपेन पर जोर दे रही है, पर प्रचार में दमखम कहीं नजर नहीं आता।
इधर आम आदमी पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस रोड शो और घर घर जनसंपर्क पर है। दिल्ली एमसीडी चुनाव भी साथ होने की वजह से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की रैली पर असर दिख रहा है। केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान अब तक एक दर्जन से ज्यादा रोड़ शोक कर चुके है। इसमें शहरी क्षेत्र सबसे ज्यादा है। इसके अलावा आप के बड़े नेताओं की भी अब गुजरात के साथ दिल्ली में रैलियां लग गई है। जिससे वे भी गुजरात नहीं पहुंच पा रहे है। जबकि आप के स्थानीय नेता अपने चुनावों में फंस गए है। जिससे वे दूसरे इलाकों में प्रचार के लिए नहीं पहुंच पा रहे है।