पॉलिटिकल डेस्क. देश के पांच राज्यों में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है तो वहीं सियासत के मामले में हर बार की तरह उत्तर प्रदेश हॉट इलेक्शन स्टेट बन गया है। आज जहां सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव ने बीजेपी शामिल हो गई हैं। वहीं दूसरी ओर सपा मुखिया अखिलेश यादव की ओर से भी चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है।
पॉलिटिकल एनालिस्ट अब अखिलेश के चुनाव लड़ने निर्णय को योगी आदित्यनााथ के चुनाव लड़ने के निर्णय से जोड़कर देख रहे हैं। बता दें कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं... ऐसे में बीजेपी की पहली सूची में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ को चुनाव मैदान में उतारने के ऐलान के साथ ही यूपी चुनाव का 18 साल का रिकॉर्ड भी टूट गया है। वजह ये कि मुलायम सिंह यादव आखिरी बार गुन्नौर सीट से विधानसभा चुनाव लड़कर यूपी के सीएम बने थे।
योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले ही ट्वीट किया था कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हूं, पार्टी जहां कहेगी वहीं से लड़ूंगा। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वे अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं।
क्योंकि राम मंदिर बीजेपी का चुनावी एजेंडे में हमेशा से रहा है... लेकिन पहली सूची का ऐलान करते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीएम योगी के गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ने की बात कही।
इस घोषणा के बाद यूपी के अन्य दल भी सकते में आ गए हैं कि वे चुनाव लड़ें या नहीं। यूपी में कहीं न कहीं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों को हमेशा चुनाव में जीत का डर सताता रहा है।
इसी को लेकर यूपी में अल्पसंख्यक मामलात के राज्यमंत्री मोहसिन रज़ा ने अखिलेश के चुनाव लड़ने पर तंज कसा.... बोले कि अखिलेश यादव मन से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.... बल्कि वो भरे मन से चुनाव लड़ने जा रहे हैं, क्योंकि भाजपा ने सीएम योगी और उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य को चुनाव मैदान में उतारा तो इसे लेकर सपा के सदस्य ने जरूर सपा सुप्रीमों अखिलेश से सवाल किया होगा कि आप क्यों नहीं चुनाव लड़ेंगे?.... ऐसे में नेताजी की अपनी ही पार्टी में नाक पर बन आई होगी....। मोहसिन रजा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अखिलेश चुनाव लड़ना पसंद करते हैं क्योंकि मैदान में जाने वाले लोग तो हमेशा मैदान में दिखते हैं.... जबकि अखिलेश तो अपनी पार्टी की विजय यात्रा में वीआईपी कल्चर से लबरेज नजर आते हैं।
1989 तक जो भी नेता मुख्यमंत्री बना वो चुन कर आया।
1989 के बाद से सभी विधान परिषद से आ कर सीएम बनें।
मायावती को इस परंपरा को स्थाई करने का श्रेय है।
मायावती के बाद मुलायम सिंह भी विधान परिषद से MLC बनकर आए।
फिर मायावती, अखिलेश और योगी आदित्यनाथ तीनों MLC बन कर सीएम बने।
साल 2000 में राजनाथ सिंह बाराबंकी से उप चुनाव जीतकर आए और सीएम बने।
अखिलेश 2012 से लेकर 2017 तक यूपी के सीएम रहे। उन्होंने यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार चलाई। उस दौरान विधायक बनने के लिए कोई उपचुनाव नहीं लड़ा था। वह एमएलसी बनकर सीएम बने थे। सीएम योगी के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर अखिलेश ने कहा है कि हमारी पार्टी जहां से चुनाव लड़ने की बात कहेगी, हम वहीं से लड़ेंगे। इसके बाद मैनपुरी, कन्नौज और आजमगढ़ जैसी सुरक्षित सीटों से अखिलेश के चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
यहां ये तथ्य भी बताना जरूरी है कि गांधी परिवार के किसी सदस्य ने आज तक यूपी में विधायकी का चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में इस बार प्रियंका से पूछा जा रहा है कि क्या वे इस बार मैदान में उतरेंगी? प्रिंयका हमेशा लोकसभा में अमेठी और रायबरेली में मां और भाई के लिए चुनाव प्रचार करती दिखीं हैं।
लेकिन इस बार वे यूपी में प्रमुखता से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। 2022 का मेनिफेस्टो जारी किया है। पार्टी की 40 प्रतिश महिलाओं को विस. प्रत्याशी बनाने की बात की, लेकिन चुनाव लड़ने पर वे सवाल करने वालों से कहती हैं.... शायद हो सकता है कि चुनाव लड़ूं... जब इस पर पार्टी फैसला करेगी तो आपको पता चल जाएगा....
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