रुस यूक्रेन युध्द ने बदल दिए है वैश्वीकरण के अर्थ, क्या वैश्वीक मंदी की तरफ बढ़ रहा है पूरा विश्व?

जब साल 2020 शुरू हुआ, अमेरिकी अर्थव्यवस्था लगातार विस्तार के अपने 126वें महीने में प्रवेश कर रही थी। यह अमेरिकी इतिहास में आर्थिक प्रगति की सबसे लंबी अवधि थी। उस समय बड़ी कंपनियों के कई निवेशक और अधिकारी गुपचुप तरीके से सवाल उठा रहे थे...
रुस यूक्रेन युध्द ने बदल दिए है वैश्वीकरण के अर्थ, क्या वैश्वीक मंदी की तरफ बढ़ रहा है पूरा विश्व?

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विश्व की बाजार अब पूरी तरह से बदल गया है, पहले कोरोना की मार ने वैश्वीक स्तर पर कमर तोड़ कर बाजार के हालात खस्ता कर दिए है और उसके बाद अब रुस यूक्रेन युध्द ने स्थिति को और बदल दिया है यानि अब एक बार फिर से अंतराष्ट्रीय स्तर पर बाजारों पर प्रभाव पड़ा है आइए जानते है इसके बारें में विस्तार से...

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एक देश की अर्थव्यवस्था का विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओ के साथ जुड़ाव करने की एक प्रक्रिया है। जिसे हम वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) कहते है

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कोरोना काल के बाद वैश्वीक अर्थव्यवस्था पर एक नजर

जब साल 2020 शुरू हुआ, अमेरिकी अर्थव्यवस्था लगातार विस्तार के अपने 126वें महीने में प्रवेश कर रही थी। यह अमेरिकी इतिहास में आर्थिक प्रगति की सबसे लंबी अवधि थी। उस समय बड़ी कंपनियों के कई निवेशक और अधिकारी गुपचुप तरीके से सवाल उठा रहे थे, 'अमेरिका की आर्थिक प्रगति का यह दौर कब तक चलने वाला है? आखिर क्या वजह होगी जो हमें एक बार फिर से आर्थिक मंदी के गर्त में धकेल देगी? और सुस्ती का यह दौर कितना गहरा और व्यापक होगा? इसका क्या कारण रहा होगा? यह कहाँ से आएगा?' अब जबकि कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया में फैल चुका है। वित्तीय बाजारों में तहला मचा है। निवेशकों को हर हफ्ते खरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है। आज दस साल के अमेरिकी बॉन्ड पर रिटर्न एक फीसदी से भी कम है, ऐसे में कई लोग आर्थिक मंदी के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार कर रहे थे।

2019 में दुनिया की अर्थव्यवस्था आधिकारिक तौर पर सिकुड़ी

कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से पहले दुनिया के कई प्रमुख निर्यातक देशों में आउटपुट सेक्टर (पीएमआई) 2019 में लगातार गिरावट की ओर बढ़ रहा था। व्यापार संघर्ष के तनाव से पैदा हुई अनिश्चितता, जिसके कारण उत्पादन जापान, जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे कई देशों में विनिर्माण क्षेत्र खत्म हो रही थी। और विनिर्माण का वैश्विक पीएमआई 50 ​​प्रतिशत से नीचे चला गया था। जिसका मतलब था कि साल 2019 में दुनिया की अर्थव्यवस्था आधिकारिक तौर पर सिकुड़ रही थी। 'पुराने औद्योगिक' और वस्तुओं के उत्पादन की इस गिरावट के दौरान सेवा क्षेत्र और उपभोक्ता बाजार के विस्तार के कारण विश्व अर्थव्यवस्था की गतिविधियाँ आगे बढ़ रही थीं। दुनिया में जो नए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे थे, चाहे वह दुनिया के विकासशील देश हों या विकसित देश हों, रोजगार के अधिकांश अवसर सेवा क्षेत्र और उपभोक्ता बाजार दोनों में पैदा हो रहे थे। इनके कारण, वित्तीय बाजार फलफूल रहे थे और निवेश पर अच्छा रिटर्न दिया जा रहा था।

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युक्रेन के कई शहर पूरी तरह तबाह हो चुके है

रुस यूक्रेन युध्द के कारण इन कम्पनीयों ने समेटा अपना कारोबार

Apple ने अपने उत्पाद की बिक्री बंद कर दी है। मेटा ने आरटी और स्पुतनिक तक पहुंच को अवरुद्ध करने के लिए प्रसारण किया है। ट्विटर ने प्रदूषण की मीडिया सामग्री के सूचना प्रबंधन और प्रबंधन की घोषणा की। इसमें BP, Diageo, Dinemere और Renom तकनीक शामिल है।

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रूस युक्रेन वॉर अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की किमत में उछाल आया। 

वैश्वीक स्तर पर क्या पड़ सकता है प्रभाव

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बीच दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को लेकर भी चिंता पैदा हो रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि युद्ध के बावजूद इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रगति की राह पर होगी। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि युद्ध का असर दुनिया के कोने-कोने में महसूस किया जाएगा।

प्रभाव कितना बुरा होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि युद्ध कितने समय तक चलता है, वैश्विक बाजार अभी जिस उथल-पुथल से गुजर रहा है, वह समय की बात है या इसका प्रभाव लंबे समय तक रहेगा।

अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग प्रभाव

ब्रिटेन स्थित कंसल्टेंसी ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार, रूस और यूक्रेन के लिए युद्ध के आर्थिक परिणाम "नाटकीय" होंगे, लेकिन बाकी दुनिया के लिए समान नहीं होंगे।

पोलैंड और तुर्की के रूस के साथ बहुत मजबूत व्यापारिक संबंध हैं और इसलिए युद्ध के प्रभावों के मामले में अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक जोखिम में हैं।
कंसल्टेंसी ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार

ईंधन के मामले में पोलैंड अपनी जरूरत का आधा हिस्सा रूस से आयात करता है। दूसरी ओर, तुर्की को अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का एक तिहाई रूस से प्राप्त होता है।

रूस-यूक्रेन संकट अमेरीका और चीन पर सबसे ज्यादा

इसकी तुलना में रूस के साथ अमेरिका का व्यापार उसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.5 प्रतिशत है। चीन के लिए यह आंकड़ा 2.5 फीसदी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि रूस-यूक्रेन संकट का इन दोनों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

वैश्विक आर्थिक विकास की दर 0.2% तक कम होगी

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स में ग्लोबल मैक्रो रिसर्च के निदेशक बेन मे का कहना है कि जब वैश्विक आर्थिक विकास की बात आती है, तो अनुमान लगाया जाता है कि युद्ध के कारण इसकी दर 0.2 प्रतिशत कम हो सकती है, यानी यह 4 प्रतिशत से भी कम हो सकती है। 3.8% तक। है।

वे कहते हैं, ''लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि युद्ध कितने समय तक चलता है. जाहिर है, अगर यह युद्ध लंबे समय तक चलता है, तो इसका असर भीषण हो सकता है.''

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