आतंकवादी पैदा करने वाले देश पाकिस्तान के लिए ही आतंकवादी संगठन मुसीबत बन गये है। पाकिस्तान सरकार और TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के बीच लगातार सीजफायर चल रल रहा था, लेकिन जिस तरह से मामले बढ़ रहे है। ऐसा लगता है कि यह खत्म होने की कगार पर है।
मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक, हमलों से लगातार दहल रहे बलूचिस्तान में लगातार हमलों के बीच इस आतंकवादी संगठन ने अफगानिस्तान की सीमा से सटे खैबर पख्तूख्वा में एक पाकिस्तानी सैनिक को गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में उस सैनिक का सिर सरेआम एक बाजार में पेड़ से लटका दिया। डेड बॉडी के साथ एक धमकी भरी चिट्ठी भी लगाई गई।
TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) आतंकी संगठन ने पाकिस्तानी सैनिक के शव के पास एक चिठ्ठी भी छोड़ी। स्थानीय भाषा पश्तो में लिखी चिठ्ठी में स्थानीय लोगों को चेतावनी देते हुए लिखा था कि मरने वाले के जनाजे में शिरकत न करे, वरना अंजाम बुरा होगा। आतंकवादियों ने जिस पाकिस्तानी सैनिक की हत्या कर पेड़ पर लटकाया उसका नाम रहमान सागत बताया जा रहा है।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता पाकिस्तान की एक्टिविस्ट मलाला यूसुफजई के पिता जियाउद्दीन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये इसी क्षेत्र की एक और घटना की जानकारी दी है।
जियाउद्दीन ने बन्नू जिले के जानी खेल क्षेत्र के एक घर में टीटीपी आतंकवादियों ने रहमानउल्लाह और उनके बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में रहमानउल्लाह का शव एक पेड़ से लटका दिया। जियाउद्दीन ने इस घर में बची इकलौती 10 साल की बच्ची की तस्वीर शेयर की है।
अफगानिस्तान के जर्नलिस्ट सुहैब जुबेरी ने सोशल मीडिया पर तालिबान क्रूरता की जानकारी दी है। गौरतलब है कि पाकिस्तानी फौज या सरकार की तरफ से इस बारे में अब तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
अफगानिस्तानी जर्नलिस्ट सुहैब के अनुसार, फौजी रहमान का सिर काटने की घटना बन्नू जिले के जानी खेल इलाके में हुई। बाद में उसका सिर एक पेड़ से लटका दिया गया। शव के साथ स्थानीय पश्तो भाषा में लिखी एक चिट्ठी भी थी। इसमें लिखा था कि कोई भी व्यक्ति मारे गए सैनिक के जनाजे में शिरकत न करे। वरना इसका अंजाम बुरा होगा।