मुस्लिमों को भड़काना, नफरत और उगाही- पीएफआई पर क्यों लगा बैन, जानें 10 प्वाइंट्स में

Popular Front of India Banned: पीएफआई की आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता पाये जाने और टेरर फंडिंग के सबूत मिलने के बाद गृह मंत्रालय ने पांच साल के लिए बैन लगा दिया है। आइए 10 प्वाइंट्स में समझे, क्यों लगा पीएफआई पर प्रतिबंध...
PFI पर बैन- Since Independence
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PFI  पर टेरर लिंक के सबूत मिलने के बाद सरकार ने कड़ा रूख दिखाते हुए पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है।  साथ ही दिल्ली-यूपी से लेकर देश के अलग-अलग जगहों पर केंद्र सरकार ने इस संगठन को यूएपीए के तहत अवैध करार दिया है। इसी के आधार पर पीएफआई के अलावा इससे जुड़े आठ अन्य संगठनों पर भी गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाया है।

टेरर लिंक के आरोप में देश के कई राज्यों में पीएफआई पर लगातार छापेमारी के बाद केंद्र सरकार ने यह कार्रवाई की है।

PFI पर बैन- Since Independence
हिंदुओं के खिलाफ जहर उगल रहे कुछ विदेशी मीडिया संस्थान और पत्रकारों का सच
  • PFI देश में एक दशक से सक्रिय है। PFI का देश में कई जगहों पर हिंसा, दंगा और हत्याओं में नाम आता रहा है। युवाओं को भड़काने का काम और मुस्लिम समुदाय को भड़काने का काम इसकी ओर से किया जा रहा था। भारत विरोधी कई बड़ी गतिविधियों में भी PFI की संलिप्तता पाई गई। यहां तक की सीएए-एनआरसी के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में दिए गए धरने व दिल्ली हिंसा में पीएफआई की भूमिका पाई गई।  

  • अन्य देशों के प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के साथ भी इसकी संलिप्तता पाई गई है। कई देशों से इसे फंडिंग भी मिल रही थी। इसके द्वारा युवाओं को टारगेट करने की कोशिश थी और 2047 तक का एक बड़ा प्लान भी PFI की ओर से तैयार किया गया था।

  • मुसलमानों को सोशल मीडिया के जरिए PFI भड़काने का काम कर रहा था। देश के किसी भी बड़े मुद्दे पर यह सोशल मीडिया के जरिए मुसलमानों को भड़काने का काम करता था। पीएफआई अफवाह और झूठ के सहारे खास समुदाय को उकसाने का भी काम करता था।

  • छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिसमें देश के खिलाफ बड़े साजिश रचने के सबूत मिले हैं। छापेमारी के दौरान गिरफ्तार सदस्यों ने कई और खुलासे किए जिसके बाद अन्य जगहों पर छापेमारी की गई।

  • पहले फेज में लोगों को PFI बैनर के तहत एकजुट करने का काम किया जाता था। इसके साथ ही अफवाह और झूठ के सहारे उन्हें उकसाने का काम किया जाता था। PFI इस बात पर जोर देता था कि मुसलमानों तक यह संदेश जाए कि यह उनका इकलौता हितैषी संगठन है।

  • PFI संगठन में नए सदस्यों की भर्ती करता था और उन्हें हिंसा की ट्रेनिंग देता था। ट्रेनिंग के बाद पीएफआई दूसरा फेज शुरु करता था। इसमें देश में रह रहे मुसलमानों से जुड़ी परेशानी को विदेशों में ले जाने का काम किया जाता था।

  • हर फेज में इस बात पर जोर होता था कि सारा काम PFI के नेतृत्व में ही रहे। साथ ही वक्त-वक्त पर हिंसा से जुड़े वीडियो दिखाकर उकसाने का काम भी किया जाता था। इसके बाद तीसरा फेज शुरू होता था। तीसरे फेज में SC/ST समाज के लोगों को संरक्षण देने पर जोर दिया जाता था और संविधान व बाबा साहेब आंबेडकर की दुआई देकर बचने का कार्य करते थे।  

  • PFI का अपना एक बिजनेस मॉडल भी है। यह सऊदी अरब और UAE में कंपनी भी चलाता है। कंपनी के जरिए लोगों को भारत से खाड़ी देश भेजा जाता है। PFI अब तक करीब 30 हजार लोगों को खाड़ी देश भेज चुका है।

  • UP, तमिलनाडु, केरल सहित देश के कई राज्यों से लोगों को पीएफआई UAE भेजता है। साथ ही UAE में काम करने वाले भारतीयों से पैसा लिया जाता है। भारतीयों के वेतन से हर महीने 2200 रुपये PFI लेता है।

  • PFI सोशल मीडिया के जरिए भारत सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम करता है। यह सोशल मीडिया पर कोई भी पोस्ट करता है तो उसे पहले कई बार जांचता है। हर बार भड़काऊ पोस्ट के लिए नया सोशल मीडिया अकाउंट क्रिएट किया जाता है।

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