Draupadi Murmu: मंगलवार को भाजपा ने NDA की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू (Draupadi murmu) के नाम की घोषणा की है। उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू का नाम आने के बाद चुनावों में सियासी हलचल तेज हो गई है। माना जा राष्ट्रपति चुनावों में द्रौपदी की जीत तय है। अगर ऐसा हुआ तो वह आदिवासी समुदाय की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी।
20 जून 1958 को संताल आदिवासी समाज में जन्मी द्रौपदी मुर्म का जीवन बेहद उतार-चढ़ाव वाला रहा है। श्याम चरण मुर्मू से शादी के बाद द्रौपदी के दो बेटे और एक बेटी हुई। लेकिन कुछ समय के बाद ही द्रोपदी को दोनों बेटे और पति ने इस दुनिया से अलविदा कह दिया।
दुखों के इस पहाड़ के आगे द्रौपदी झुकी नहीं और वह अपना करियर बनाने में जुट गई। उन्होंने 1997 में पहली बार राजनीति में कदम रखा। इस साल वह रायरंगपुर नगर पंचायत से पहली बार पार्षद बनी थी।
इसके बाद वह 18 मई 2015 को झारखंड की महिला राज्यपाल बनी। मुर्मू (Draupadi Murmu) भाजपा की ओडिशा इकाई के एसटी मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। 2013 में उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था।
बता दें कि 2015 में झारखंड की नौवीं राज्यपाल बनने के बाद उन्होंने 18 मई, 2020 को अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया, लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति की नियुक्ति न होने के कारण श्रीमती मुर्मू का कार्यकाल समाप्त हो गया।
इस तरह स्वचालित रूप से विस्तारित होने के बाद 6 जुलाई 2021 को नए राज्यपाल (रमेश बैस) की अधिसूचना तक श्रीमती मुर्मू का कार्यकाल छह वर्ष, एक माह और 18 दिन का था।
द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) एक साफ छवि की राजनेता रही हैं। आज तक किसी भी कंट्रोवर्सी में उनका नाम नहीं आया है। अपनी शिक्षित और बेदाग छवि की वजह से ही वह भाजपा आलाकमान की पहली पसंद बनीं।
बता दें कि द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी के सोशल ट्राइब मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रही हैं।
ऐसे में NDA को बहुमत मिलने की पूरी आशंका है। इस बात से तय होता है कि द्रौपदी इस बार राष्ट्रपति बनेंगी। ऐसे में देखना होगा कि भाजपा की इस रणनीति के खिलाफ क्या कांग्रेस कोई नया दांव खेलगी?