President Election: द्रौपदी मुर्मु के चुनाव में खड़े होने से क्या टूट जाएगा यशवंत सिन्हा का सपना, जानें किसका पलड़ा होगा भारी

President Election: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने NDA की तरफ से द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रुप में चुना है। वहीं कांग्रेस ने यशवंत सिन्हा को विपक्ष की और से मैदान में उताका है।
President Election: द्रौपदी मुर्मु के चुनाव में खड़े होने से क्या टूट जाएगा यशवंत सिन्हा का सपना, जानें किसका पलड़ा होगा भारी
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देश में राष्ट्रपति चुनाव (President Election) के लिए भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। इस चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने NDA की तरफ से उम्मीदवार की घोषणा सबको चौंका दिया है।

पार्टी ने अपनी तरफ से ओड़िशा (Odisha) की आदिवासी महिला नेत्री और झारखण्ड (Jharkhand) की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को मैदान में उतारा है। बीजेपी पार्टी मुख्यालय में हुए गहन मंथन के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने इस बात का खुलासा किया।

द्रौपदी मुर्मू 25 जून को दाखिल कर सकती है नामांकन

जानकारी है कि द्रौपदी मुर्मू 25 को अपना नामांकन दाखिल कर सकती हैं। इसके लिए भाजपा ने 24 और 25 को अपने सभी वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को दिल्ली में रहने के निर्देश दिए हैं।

विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को उतारा मैदान में

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी (UPA) ने अपने उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) के नाम का ऐलान किया है। बता दें कि यशवंत सिन्हा दो बार केंद्रीय वित्त मंत्री रह चुके है।

1990 में वह पहली बार चंद्रशेखर की सरकार में वित्त मंत्री बने और फिर दूसरी बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह वित्त मंत्री थे। वह वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री भी रह चुके है।

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चुनाव में किसका पलड़ा होगा भारी
राष्ट्रपति चुनाव में इन राजनीतिक गठबंधनों की ताकत की बात करें तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन के पास करीब 23 फीसदी वोट हैं, जबकि एनडीए गठबंधन को यूपीए के मुकाबले करीब 49 फीसदी वोट हैं। ऐसे में UPA के मुकाबले NDA ज्यादा मजबूत है, पर अगर विपक्ष संयुक्त तौर पर मिलकर कोई उम्मीदवार खड़ा करती है तो देश के सभी क्षेत्रीय दल उसे अपना समर्थन देंगे। कांग्रेस की यह रणनीति भाजपा के लिए समस्या खड़ी कर सकती है। माना जा रहा है कि अगर बीजेपी विरोधी सभी दल एकजुट हुए तो उनके पास NDA से 2 प्रतिशत ज्यादा यानि लगभग 51 प्रतिशत वोट हो जाएंगे।

जानें NDA और UPA के पक्ष में कितने मत है

दोनों पक्षों में मतों की बात करें तो NDA के पक्ष में 440 सांसद है वहीं UPA के पास लगभग 180 सांसद है। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के पास करीब 36 सांसद है।

वोटों की संख्या की बात करें तो एनडीए के पास कुल 10,86,431 में से करीब 5,35,000 मत होने का अनुमान है। वहीं यूपीए के पास सांसदों के 1.5 लाख से अधिक वोट हैं और करीब इस संख्या में उसे विधायकों के भी वोट मिलेंगे।

इतिहास की बात करें तो कुछ चुनावों में भी विपक्ष के उम्मीदवार को तीन लाख से थोड़ा अधिक मत मिलते रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस बार प्रत्येक सांसद के मत का मूल्य 700 होगा वहीं पहले यह मूल्य 708 था।

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