राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होनी है और वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून तक है। वहीं यशवंत सिन्हा आगामी चुनाव के लिए राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं। तो आइए जानते हैं कौन हैं यशवंत सिन्हा? यशवंत सिन्हा का विद्रोही रवैया 1958 में पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बनने से लेकर 2022 में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने तक के उनके राजनीतिक सफर में कई बार देखा गया है।
यशवंत का यह जवाब सुनकर मुख्यमंत्री उन्हें एक कमरे में ले गए। वहां एसपी और डीआईजी के सामने महामाया प्रसाद ने उनसे कहा कि आपको मंत्री के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। इसके बाद यशवंत ने कहा कि आपके मंत्री को भी मेरे साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था।
यशवंत सिन्हा ने जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर रिटायरमेंट से 12 साल पहले आईएएस की नौकरी छोड़ दी थी। और फिर कुछ महीनों के बाद वह जनता दल में शामिल हो गए और चंद्रशेखर के करीब हो गए। बोफोर्स घोटाले को लेकर हंगामे के बीच 1989 में जब वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने यशवंत को राज्य मंत्री बनाने की पेशकश की और तत्कालीन कैबिनेट सचिव टीएन सेशन ने भी यशवंत को मंत्री बनाए जाने की चिट्ठी सौंपी थी, लेकिन उन्होंने इस पद को ठुकरा दिया था। दरअसल, सिन्हा कैबिनेट मंत्री बनना चाहते थे। सिन्हा ने तब कहा कि उनकी वरिष्ठता और चुनाव प्रचार में काम को देखते हुए वीपी सिंह ने उन्हें राज्य मंत्री का पद देकर उनके साथ अन्याय किया है।
दिनांक 24 अक्टूबर 2018 यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण के साथ मोदी सरकार के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। तीनों ने कोर्ट में याचिका दायर कर मोदी सरकार के दौरान राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और इसके साथ ही राफेल मामले में मोदी सरकार के खिलाफ सीबीआई में केस दर्ज करने की मांग की थी। यशवंत सिन्हा के इस विद्रोही रवैये को देखकर हर कोई हैरान था।