कैबिनेट मिनिस्टर रहे, कभी थे मोदी के मुरीद फिर मोदी पर की FIR, अब हैं राष्ट्रपति उम्मीदवार, फायर ब्रिगेड नेता यशवंत सिन्हा की कहानी।

यशवंत सिन्हा ने जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर रिटायरमेंट से 12 साल पहले आईएएस की नौकरी छोड़ दी थी। और फिर कुछ महीनों के बाद वह जनता दल में शामिल हो गए और चंद्रशेखर के करीब हो गए।
यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा

राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होनी है और वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून तक है। वहीं यशवंत सिन्हा आगामी चुनाव के लिए राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं। तो आइए जानते हैं कौन हैं यशवंत सिन्हा? यशवंत सिन्हा का विद्रोही रवैया 1958 में पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बनने से लेकर 2022 में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने तक के उनके राजनीतिक सफर में कई बार देखा गया है।

जब यशवंत सिन्हा परेशान हो गए
1960 की IAS परीक्षा में यशवंत सिन्हा ने देशभर में 12वीं रैंक हासिल की थी। प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद उन्हें बिहार के संथाल परगना में जिला कलेक्टर बनाया गया। साल 1964 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा संथाल परगना के दौरे पर गए थे। इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि यशवंत सिन्हा सुर्खियों में आ गए। दरअसल लोगों ने अधिकारियों के खिलाफ सीएम से शिकायत की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री महामाया भीड़ के सामने यशवंत सिन्हा से सवाल करना शुरू कर दिया। बार-बार पूछे जाने वाले सवालों से यशवंत सिन्हा परेशान हो गए। इस दौरान यशवंत सिन्हा अपने जवाब से सीएम को खुश करने की कोशिश कर रहे थे। तब सीएम के साथ आए सिंचाई मंत्री उन पर काफी भड़क गए। इसके बाद सिन्हा ने मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद की ओर देखा और कहा कि सर, मुझे इस तरह के व्यवहार की आदत नहीं है।

यशवंत सिन्हा पर गुस्सा हो गए मुख्यमंत्री

यशवंत का यह जवाब सुनकर मुख्यमंत्री उन्हें एक कमरे में ले गए। वहां एसपी और डीआईजी के सामने महामाया प्रसाद ने उनसे कहा कि आपको मंत्री के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। इसके बाद यशवंत ने कहा कि आपके मंत्री को भी मेरे साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था।

आप IAS नहीं बन सकते लेकिन मैं मुख्यमंत्री बन सकता हूं
सिन्हा का यह जवाब सुनकर महामाया प्रसाद को गुस्सा आ गया कि आपने मुख्यमंत्री से इस तरह बात करने की हिम्मत कैसे की? साथ ही उन्होंने आईएएस सिन्हा से कहा कि आपको दूसरी नौकरी ढूंढनी चाहिए। यह सुनकर यशवंत सिन्हा ने महामाया प्रसाद से कहा, 'सर, आप आईएएस नहीं बन सकते, लेकिन मैं एक दिन मुख्यमंत्री बन सकता हूं।

राज्य मंत्री बनाने की पेशकश लेकिन ठुकरा दिया पद

यशवंत सिन्हा ने जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर रिटायरमेंट से 12 साल पहले आईएएस की नौकरी छोड़ दी थी। और फिर कुछ महीनों के बाद वह जनता दल में शामिल हो गए और चंद्रशेखर के करीब हो गए। बोफोर्स घोटाले को लेकर हंगामे के बीच 1989 में जब वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने यशवंत को राज्य मंत्री बनाने की पेशकश की और तत्कालीन कैबिनेट सचिव टीएन सेशन ने भी यशवंत को मंत्री बनाए जाने की चिट्ठी सौंपी थी, लेकिन उन्होंने इस पद को ठुकरा दिया था। दरअसल, सिन्हा कैबिनेट मंत्री बनना चाहते थे। सिन्हा ने तब कहा कि उनकी वरिष्ठता और चुनाव प्रचार में काम को देखते हुए वीपी सिंह ने उन्हें राज्य मंत्री का पद देकर उनके साथ अन्याय किया है।

लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, अटल बिहारी वाजपेयी (दाएँ से बाए)
लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, अटल बिहारी वाजपेयी (दाएँ से बाए)
यशवंत सिन्हा की BJP में एंट्री और एग्जिट
वीपी सिंह की सरकार 343 दिन चली। इसके बाद नवंबर 1990 में जब चंद्रशेखर पीएम बने तो उन्होंने सिन्हा को वित्त मंत्री बनाया। यह सरकार भी सिर्फ 223 दिन चली। सरकार गिरने के बाद यशवंत सिन्हा को कांग्रेस में शामिल होने की पेशकश की गई, लेकिन वे भाजपा में शामिल हो गए। दरअसल, वह लालू प्रसाद को नजरअंदाज कर बीजेपी के संपर्क में आए थे। दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी से संपर्क किया और बीजेपी में शामिल हो गए। वह अटल सरकार में पहले वित्त मंत्री और बाद में भाजपा शासन में विदेश मंत्री बने। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह उनके बेटे जयंत सिन्हा को बीजेपी ने पारंपरिक हजारीबाग सीट से मौका दिया। कई नीतिगत मुद्दों पर मतभेदों के चलते उन्होंने बीजेपी को अलविदा कह दिया।

मोदी सरकार के खिलाफ केस दर्ज कर सीबआई जांच की मांग

दिनांक 24 अक्टूबर 2018 यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण के साथ मोदी सरकार के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। तीनों ने कोर्ट में याचिका दायर कर मोदी सरकार के दौरान राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और इसके साथ ही राफेल मामले में मोदी सरकार के खिलाफ सीबीआई में केस दर्ज करने की मांग की थी। यशवंत सिन्हा के इस विद्रोही रवैये को देखकर हर कोई हैरान था।

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