Rajasthan Next CM: प्रदेश में सोलहवीं विधानसभा के लिए 25 नवंबर को 199 सीटों पर हुए चुनाव का नतीजा कांग्रेस के लिए एकदम सचमुच चौकाने वाला रहा।
1993 के बाद से बार जनता नेता पलटने का रिवाज को बनाए रखा और 115 सीटों के साथ भाजपा को सत्ता की चाबी सौंप दी है। भाजपा को जनता ने 42 सीटों का फायदा दिया।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा पेश नहीं किया था, इसकी बजाय ब्रांड मोदी की गारंटी पर चुनाव लड़ा था।
ऐसे में कहा जा सकता है कि वोट केवल पार्टी के नाम पर पड़े। पीएम मोदी की लहर कायम रही और पार्टी ने तीनों राज्यों राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में बहुमत हासिल कर लिया।
इन चुनावों परिणामों ने यह भी साबित किया है कि कहीं भी एंटी एंटी इनकंबेसी यानी सत्ता विरोधी लहर जैसी कोई चीज नहीं है।
लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान में भाजपा की विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत से भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का जोश दोगुना हो गया है।
भाजपा को अपने चौंकाने वाले फैसलों के लिए जाना जाता है। पिछले कुछ सालों में गोवा, महाराष्ट्र, यूपी, हरियाणा, त्रिपुरा, कर्नाटक, उत्तराखंड, गुजरात, जैसे राज्यों में भाजपा ने जिस तरह से नए चेहरों को सीएम बनाया, उसी तरह राजस्थान में भी नया और चौंकाने वाला चेहरा सीएम की कुर्सी पर दिख सकता है।
राजस्थान में भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2023 में स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लिया है। हालांकि भाजपा के दिग्गज नेता एवं नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड़ एवं उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया, नरपत सिंह राजवी चुनाव हार गए।
जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, किरोड़ी लाल मीणा, महंत बालकनाथ तथा पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी एवं अनिता भदेल सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुनाव जीत गए हैं।
200 सीटों वाली 16वीं विधानसभा चुनाव में 199 सीटों पर गत 25 नवंबर को मतदान हुआ था। करणपुर से कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण वहां चुनाव स्थगित कर दिया गया था।
पिछले पांच सालों से राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत ने अपनी हार स्वीकार करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
CM सहित अधिकतम 30 सदस्यों के मंत्रिमंडल में युवाओं और अनुभवी चेहरों का गुड मिक्स होगा। केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल की तरह प्रदेश में भी विषयों के एक्सपर्ट सदस्यों को उनके अनुरूप मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा ।
गुड मैनेजमेंट की छवि वाले सदस्यों को तवज्जो दी जाएगी। इसी वजह से दो-तीन ऐसे चेहरे भी हो सकते हैं जो पहली बार सदन में पहुंचे हैं।
नए मंत्रिमंडल के चेहरे पूरी तरह केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर करेंगे। पार्टी ने केंद्रीय स्तर पर इस पर चर्चा शुरू हो गई है।
लोकसभा चुनाव तक एक छोटा मंत्रिमंडल रहेगा, उसके बाद विस्तार किया जा सकता है। कुल मिलाकर जो मंत्रिमंडल बनेगा, उसमें कुछ पूर्व मंत्री भी शामिल होंगे।