Father: मेरी बेटी का शव तो दे दो Police: चुनाव है तुम बाद में आना

Crime News: जयपुर ग्रामीण पुलिस ने संवेदनशीलता और इंसानियत को तार-तार कर दिया।दो साल पहले गैंगरेप का शिकार हुई पीड़िता का अधजला शरीर कांवटिया अस्पताल के चीरघर में पड़ा रहा लेकिन पुलिस ने उसकी शिनाख्त तक का प्रयास नहीं किया।
Father: मेरी बेटी का शव तो दे दो 
Police: चुनाव है तुम बाद में आना
Father: मेरी बेटी का शव तो दे दो Police: चुनाव है तुम बाद में आना
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Crime News: जयपुर ग्रामीण पुलिस ने संवेदनशीलता और इंसानियत को तार-तार कर दिया। दो साल पहले गैंगरेप का शिकार हुई पीड़िता का अधजला शरीर कांवटिया अस्पताल के चीरघर में पड़ा रहा लेकिन पुलिस ने उसकी शिनाख्त तक का प्रयास नहीं किया।

चुनाव चल रहे हैं, बाद में आना तब देखेंगे

हद तो तब हो गई जब लापता बेटी की तलाश में व्यथित पिता 24 नवम्बर को कालाडेरा थाने पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें टका सा जवाब देकर लौटा दिया कि अभी फुर्सत नहीं है।

चुनाव चल रहे हैं, बाद में आना तब देखेंगे। पिता लगातार चार दिन तक हर नई सुबह थाने में फरियाद लेकर पहुंचे लेकिन सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार 4 दिन बाद पुलिस को बेबस पिता पर दया आई।

पुलिस सोमवार को शव की शिनाख्त कराने के लिए पिता को कांवटिया अस्पताल ले गई। बेटी का अधजला शव देखकर पिता की आंखों से निकल गए।

कालाडेरा पुलिस ने शिकायत को नहीं लिया गंभीरता से

पीड़िता का दो साल पहले राकेश और मुकेश ने गैंगरेप किया था। पीड़िता 15 नवम्बर की रात अचानक लापता हो गई।

परिजन ने अगले दिन कालाडेरा थाने में पहुंचकर पीड़िता के अपहरण की आशंका जताई। परिजन ने आरोप लगाया कि गैंगरेप के आरोपी उन पर लगातार समझौता करने का दबाव बना रहे हैं। प्रकरण अदालत में विचाराधीन है।

समझौता नहीं करने पर आरोपियों ने पीड़िता की हत्या करने की धमकी दी है। कालाडेरा पुलिस ने शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया।

महज पीड़िता के लापता होने की शिकायत दर्ज करके परिजन को लौटा दिया। चुनाव में व्यस्तता की आड़ लेकर उसकी तलाश के प्रयास नहीं किए गए।

डीएनए मिलान के इंतजार में पीड़िता का शव अब भी अस्पताल के चीरघर में पड़ा अपनी गति का इंतजार कर रहा है।

मुर्दाघर में शव देखने के बाद पिता के पैरों तले से जमीन खिसक गई। पिता बोले, यह मेरी बेटी है। पुलिस ने यहां भी संवेदनशीलता नहीं बरती।

पूछा हम कैसे मान लें, यह तुम्हारी बेटी का शव है। पिता ने कहा कि मेरी बेटी को मैं नहीं पहचानूंगा तो कौन पहचानेगा।

बेटी के पैर के अंगूठे का नाखून चोट लगने से उखड़ गया था। नया नाखून आ रहा था, इसके भी नया नाखून आ रहा है।

पैर के अंगूठे से बड़ी उंगली है। हाथों में नेल पॉलिश भी है। धनतेरस को दिलाए हुए कपड़े हैं। यह सब कुछ तो मिल गया। फिर भी उन्हें घर लौटा दिया।

पिता ने 28 नवम्बर को फिर थाने में संपर्क किया लेकिन डीएनए मिलान के लिए नमूने नहीं लिए गए।

Sp बोले, मुझेपता नहीं चला

बेटी के वियोग से व्यथित पिता को कालाडेरा थाना पुलिस 4 दिन तक चक्कर कटाती रही लेकिन पुलिस अधीक्षक शांतनु कुमार को इसका पता तक नहीं चला।

जब उनसे इस लापरवाही के विषय में पूछा तो बोले कि परिजन को चक्कर कटवाने जैसी बात मेरे सामने नहीं आई है।

पीड़िता के लापता होने की रिपोर्ट तो दर्ज की थी। पुलिस ने उसे ढूंढ़ा भी। डीएनए मिलान के बाद पता चलेगा कि शव पीड़िता का है भी या नहीं।

DNA कालवाड़ पुलिस कराएगी

कालवाड़ थाना के SHO रामपाल शर्मा ने कहा कि  परिजन कल दोपहर में मुझसे मिले। हैड कांस्टेबल को परिजन के साथ अस्पताल भेजा। शव कालवाड़ थाना क्षेत्र में मिला है। डीएनए की प्रक्रिया कालवाड़ पुलिस ही कराएगी। 

ऐसे मिली बेटी के कत्ल की सूचना

जयपुर कमिश्नरेट के कालवाड़ थाना क्षेत्र में 24 नवम्बर की सुबह युवती का अधजला शव मिला। कालवाड़ थाना पुलिस को भी संभवत: फुर्सत नहीं थी।

उसने भी लाश बरामद करके उसे कांवटिया अस्पताल के चीरघर में छोड़कर चुनाव निपटाना शुरू कर दिया। पिता को उसी दिन अखबार और सोशल मीडिया पर सूचना मिली कि युवती का अधजला शव मिला।

खबर में तथ्य था कि पहचान छिपाने के मकसद से युवती का चेहरा जलाया गया है। साथ हत्या के बाद शव ठिकाने लगाने के इरादे से उसे कालवाड़ में पटका गया है। इसी आधार पर परिजन ने शव को देखकर पहचानने का प्रयास किया

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