राजस्थान में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं का 9 सूत्री मांगों को लेकर विरोध लगातार बढ़ता ही जा रहा है। बुधवार को प्रदेश भर से जयपुर पहुंची महिला कार्यकर्ताओं ने विधानसभा का घेराव करने का प्रयास किया। इस दौरान बाईस गोदाम पर पुलिस ने आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को रोका। इसके बाद प्रदेश भर से पहुंची महिलाओं ने 22 गोदाम पर सरकार के खिलाफ धरना शुरू कर दिया।
आंगनबाडी कार्यकर्ताओं का कहना था कि यह सरकार हमें जल्द से जल्द राज्य कर्मचारी घोषित करे। इसके साथ ही हमें सरकारी कर्मचारियों की तरह मानदेय और पेंशन जैसी सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। लेकिन सरकार ने हमारी मांगों को समय पर पूरा नहीं किया तो हम सरकार के खिलाफ काम का बहिष्कार करना शुरू कर देंगे।
सरकार हमें दिहाड़ी मजदूरों से कम वेतन दे रही है। ऐसे में महंगाई के इस दौर में घर चलाना मुश्किल हो गया है। ऑनलाइन शिक्षा के इस दौर में हम अपने बच्चों के लिए मोबाइल नहीं खरीद पा रहे हैं। न ही वे अपनी फीस जमा कर पा रहे हैं। सरकार सालों से हमारा वेतन नहीं बढ़ा रही है। वहीं आंगनबाडी कार्यकर्ता अस्पताल से लेकर जांच तक सभी जगह सरकार के लिए ड्यूटी देती है। सरकार हमारी ओर ध्यान नहीं दे रही है।
आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को नियमित किया जाए।
आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार न्यूनतम वेतन दिया जाए।
एनटीटी व सुपरवाइजर की भर्ती में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को प्रोन्नति से हटाया जाए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को योग्यता एवं अनुभव के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रशिक्षण को मिलाकर प्री-प्राइमरी शिक्षक बनाया जाए।
आंगनबाडी कार्यकर्ताओं की सेवानिवृति आयु तब तक रखी जाए जब तक कि वे सक्षम न हों और आंगनबाडी कार्यकर्ता की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर परिवार के सदस्यों को नौकरी दी जाए।
मिनी सेंटर को बड़ा सेंटर बनाया जाए।
आशा सहयोगिनी को आशा पर्यवेक्षक, ग्राम सहयोग से प्रचेता के रूप में पदोन्नत किया जाना चाहिए।
न्यूट्रिशन ट्रैकर और ओटीपी की वजह से आ रही दिक्कतों का समाधान किया जाए।
आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन देने पर पीएफ काटा जाए।
जब तक आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को नियमित नहीं किया जाता है, तब तक अन्य 10 राज्यों की तर्ज पर आंगनबाडी कार्यकर्ताओं की सेवा को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्ति पर 3,00,000 रुपये की एकमुश्त राशि दी जानी चाहिए।
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