चुनावी दौर में मंहत का सुसाइड, अंतिम संस्कार बाण गंगा के किनारे करने इच्छा की जाहिर

Rajasthan Election 2023: जोधपुर के बिलाड़ा में शुक्रवार सुबह श्रीहनुमान मंदिर के महंत अपने कमरे में फंदे से लटके मिले। सुबह जब श्रद्धालु मंदिर पहुंचे तो घटना का पता लगा। इसके बाद बिलाड़ा पुलिस को सूचना दी गई।
चुनावी दौर में मंहत का सुसाइड, अंतिम संस्कार बाण गंगा के किनारे करने इच्छा की जाहिर
चुनावी दौर में मंहत का सुसाइड, अंतिम संस्कार बाण गंगा के किनारे करने इच्छा की जाहिर

जोधपुर के बिलाड़ा में श्रीहनुमान मंदिर के महंत अपने कमरे में फंदे से लटके मिले। सुबह 8 बजे जब श्रद्धालु मंदिर पहुंचे तो घटना का पता लगा।

इसके बाद बिलाड़ा पुलिस को सूचना दी गई। महंत के सुसाइड के बाद मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं और हिंदूवादी संगठनों के लोगों की भीड़ लग गई।

बिलाड़ा थाना प्रभारी भंवरलाल ने बताया- हनुमान मंदिर में रहने वाले महंत ताजाराम (40) ने बीती रात मंदिर में ही बने एक कमरे में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया।

शुक्रवार सुबह मंदिर में आए लोगों ने महंत का शव कमरे में फंदे से लटका देख सूचना दी।

पुलिस मामले की हर एंगल से जांच जुटी

इसके बाद बिलाड़ा सीओ राजवीरसिंह चम्पावत के साथ बिलाड़ा पुलिस जाप्ता लेकर मौके पर पहुंचे। पहली नजर में मामला सुसाइड का लग रहा है। फिलहाल मामले की जांच कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार बिलाड़ा कस्बे में बिलाड़ा-पतालियावास रोड पर श्रीहनुमान मंदिर है। खींवसर के रहने वाले ताजाराम नाम के महंत पिछले 5 साल से इस मंदिर में रहते थे और पूजा-पाठ करते थे। गुरुवार रात को महंत मंदिर में पूजा पाठ कर अपने कमरे में सोने चले गए थे।

शुक्रवार सुबह जब लोगों को महंत के फंदे से लटके होने की जानकारी मिली तो चर्चाएं होने लगीं। पुलिस मामले की हर एंगल से जांच कर रही है। पुलिस ने महंत के परिजनों को भी सूचना दे दी है। परिजनों के पहुंचने के बाद पोस्टमॉर्टम की कार्रवाई की जाएगी।

सुसाइड नोट में लिखा अंतिम संस्कार अग्नि से हो

मिली जानकारी के अनुसार महंत ताजाराम ने सुसाइड नोट में अपनी अंतिम इच्छा लिखी है। उन्होंने अंतिम संस्कार बाण गंगा के किनारे अग्नि (दाह संस्कार) से करने की इच्छा जाहिर की है।

महंत के सुसाइड की सूचना के बाद इलाके के कई संत हनुमान मंदिर पहुंचे हैं।

महंत ताजाराम मूल रूप से खींवसर (नागौर) के रहने वाले थे। उनके दो भाइयों को सुसाइड की सूचना दी गई तो वे बिलाड़ा हॉस्पिटल पहुंचे।

महंत के एक भाई ने बताया कि वे 5 साल की उम्र में संत बन गए थे, इसके बाद से संतों के साथ ही रहते थे।

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