राजस्थान में भाजपा की सरकार बन गई है। नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होते ही मंत्रिमंडल का गठन और शपथ ग्रहण समारोह भी जल्द कराया जाएगा।
लेकिन इससे पहले मंत्री बनने के लिए विधायकों ने अपनी लॉबिंग शुरू कर दी है। वे बडे़ नेताओं के साथ-साथ आरएसएस के नेताओं से भी मुलाकात कर रहे है।
जयपुर में तो ज्यादातर भाजपा प्रत्याशियों का चयन आरएसएस की सिफारिश से ही हुआ था और यही वजह है कि शहर की सीटों पर पुराने नेताओं का टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया गया था।
मालवीय नगर और बगरू को छोड़कर सभी सीटों पर नए प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें से किशनपोल से चन्द्रमनोहर बटवाड़ा और आदर्शनगर से रवि नैय्यर को हार का सामना करना पड़ा।
वहीं, सिविल लाइंस से गोपाल शर्मा, सांगानेर से भजनलाल शर्मा, हवामहल से बालमुकुंदाचार्य, विद्याधर नगर से दिया कुमारी और झोटवाड़ा से राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने जीत दर्ज की। वहीं, पुराने चेहरे कालीचरण सराफ और कैलाश वर्मा भी विधायक बने।
इन सभी के लिए आरएसएस ने भी चुनाव में प्रबंधन का काम किया और इसका फायदा मिला था। अब ये जीते हुए विधायक अपने-अपने स्तर पर आरएसएस और भाजपा के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, ताकि मंत्री बनने का मौका मिल सके। कुछ विधायक नई दिल्ली के नेताओं के संपर्क में भी हैं।
साल 2013 से 2018 की भाजपा सरकार में जयपुर से कालीचरण सराफ, राजपाल सिंह शेखावत, अरुण चतुर्वेदी मंत्री थे और इनके पास यूडीएच, चिकित्सा और सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग था।
ऐसे में अब एक बार फिर से शहर की आठ और ग्रामीण क्षेत्रों की 2 सीटों सहित कुल दस सीटों में से सात पर भाजपा के विधायक जीते हैं। ऐसे में अबकी बार मंत्री बनने के लिए कड़ा मुकाबला है।