
राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने 200 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए है। वहीं यहां पर तीसरे दल के रुप में सबसे बड़ी पार्टी बहुजन समाजवादी पार्टी के रूप में उभरी है।
पार्टी ने 175 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। इसी के साथ ही आप पार्टी ने 88 और आरएलपी ने 83 उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा और आरएलपी ने उन प्रत्याशियों को मौका दिया है।
जो बीजेपी और कांग्रेस से बागी हो गए है। विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर उम्मीदवारों के त्रिकोणीय मुकाबले होने जा रहे है।
बसपा का प्रभाव भरतपुर, धौलपुर, करौली, दौसा, अलवर व सीकर-झुंझुनूं में रहता है। यहां पर कई ऐसे प्रत्याशी है जो बीजेपी और कांग्रेस में टिकट की दावेदारी कर रहे थे।
जब टिकट नहीं मिला तो वो बसपा की तरफ से चुनाव मैदान में है। धौलपुर से रितेश शर्मा और भरतपुर से गिरीश चौधरी मैदान में है। इसकी वजह से ये मुकाबला त्रिकोणीय होने वाला है।
बता दें कि उदयपुरवाटी से वर्तमान विधायक राजेन्द्र गुढा ने 2018 में बसपा की तरफ से जीत दर्ज की थी। इस बार उन्होंने निर्दलीय नामांकन भरा है।
तिजारा सीट से बसपा ने इमरान खान को प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिव कांग्रेस ने टिकट देने के साथ ही अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।
इसी के साथ ही शेखावटी व मारवाड़ क्षेत्र में आरएलपी के उम्मीदवारों से मुकाबला रोचक होने वाला है। खींवसर में आरएलपी के मुखिया हनुमान बेनीवाल चुनाव लड़ रहे हैं।
इस बार वो अपने भाई नारायण बेनीवाल की जगह चुनाव मैदान में उतरे है। यहां से उन्होंने 2018 में जीत हासिल की थी। उपचुनाव में नारायण विधायक बने थे।
आरएलपी प्रत्याशी कोलायत, जायल, मेड़ता सिटी, लोहावट, शिव, चौहटन के साथ ही त्रिकोणीय मुकाबले में दिख रहे हैं। बायतु में आरएलपी ने उम्मीदवार को उतारा है।
जो पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे। यहां से कांग्रेस से हरीश चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस नेता परराम मोरदिया के बेटे महेश मोरदिया डोडा से आरएलपी के उम्मीदवार हैं।