Rajasthan Election 2023: हालात इतनी खराब हो गई है कि जयपुर शहर में रोजाना सफाई में आनी वाली कमियों का ठीकरा अब दोनों निगम की सफाई शाखा से जुड़े अधिकारी चुनाव आयोग पर थोपने लगे हैं।
दरअसल, पहली बार ऐसा होगा जब दीपावली की तैयारी आचार सहिंता में हो रही है। शहर की रोशनी देखने आने वाले लोगों को जयपुर साफ-सुथरा दिखे इसके लिए अतिरिक्ति अस्थायी सफाई कर्मचारी भी लगाए जाते थे।
दोनों निगम में इनकी संख्या 500-500 होती थी, जिससे इन लोगों से अतिरिक्त काम कराया जाता था।
दोनों निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते ना तो शहर की सफाई के लिए अतिरिक्त कर्मचारी लगे, बल्कि जो कार्यरत थे उन्हें भी चुनाव ड्यूटी में भेज दिया।निगम अधिकारी चाहते तो इन्हें जाने से रोक सकते थे।
इधर, सफाई व्यवस्था बिगड़ने को लेकर संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंद किशोर डंडोरिया ने हड़ताल का हवाला देकर लोगों को ड्यूटी पर नहीं भेजने की मांग की थी, जिस पर निगम के अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि करीब दो हजार सफाई कर्मचारियों को नहीं जाने दिया जाएगा।
हालांकि, इसका कोई लिखित में आदेश नहीं निकला है। दूसरी ओर मानसरोवर में ई- हूपर संचालित करने वाली कंपनी का पिछले कई दिनों से भुगतान रुकने के कारण उसने भी अपने हूपरों की संख्या में कमी की है, इसके चलते अब कई वार्ड में रोजाना हूपर नहीं आ रहे हैं।
शहर के एक वार्ड की सफाई के लिए दो हूपर लगाए हुए हैं। उन पर एक हेल्पर होता है, लेकिन शहर में चलने वाले हूपरों में एक पर भी हेल्पर दिखाई नहीं देता है।
एक वार्ड की सफाई के लिए 30 सफाई कर्मचारी लगाए जाते हैं। यदि दोनों निगम में सफाई के स्ट्रक्चर की बात करें तो ग्रेटर में 12 सीएसआई, 123 एसआई और 132 जमादार हैं। इसके अलावा 3500 सफाई कर्मचारी लगे हुए हैं।
जमादार ज्यादातर कार्यवाहक स्वास्थ्य निरीक्षक का काम कर रहे हैं। वहीं, हेरिटेज में 14 सीएसआई, 8 एसआई और 92 कार्यवाहक एसआई लगे हुए हैं। इसके अलावा 40 जमादार हैं और 4200 सफाई कर्मचारी हैं।
प्रत्येक वार्ड में दो-दो हूपर लगे हुए हैं। एक चक्कर में दोनों हूपर मिल कर 400 घरों का कचरा उठाते हैं। ये हूपर एक दिन में केवल दो ही चक्कर लगा पाते हैं।
ऐसे में एक दिन में 800 घरों का कचरा ही उठ पाता है। बाकी 1500 घरों का कचरा उठता ही नहीं है। ऐसे में इन घरों का कचरा सड़कों पर ही बिखरा रहता है।