भारत को प्राचीन वास्तुकला और मंदिरों का शहर कहा जाता है। पूरे भारत में कई विशालकाय मंदिर मौजूद है, जिसका अपना खास इतिहास है। हर मंदिर के निर्माण के पीछे अलग रहस्य जुड़ा हुआ है। ऐसी ही हम बात करने जा रहें है केदारेश्वर मंदिर की।
हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के एक ऐसे प्राचीन मंदिर की कहानी जो हरे-भरे पहाड़ी, खूबसूरत झरने और लंभी ट्रैकिंग के बीच महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के हरिश्चंद्रगढ़ किले में स्थित है।
ये एक ऐसा भव्य मंदिर है जिसके तीन खंभे हवा में झूलते हुए नजर आते है। ये मंदिर मात्र एक खंभे पर टिका हुआ है। ये मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है और एक ही खंभे पर टिका हुआ है और ऐसा कहा जाता है कि अगर ये खंभा टूट गया तो कलयुग का अंत हो जाएगा।
मंदिर के खंभों को सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग से जोड़कर देखा गया है। पहला खंभा सत्ययुग के समाप्त होने पर टूटा था।
इसी प्रकार दूसरा खंभा त्रेतायुग और तीसरा द्वापरयुग के खत्म होने पर टूटा था और ऐसी मान्यता है कि चौथा खंभा कलियुग के खत्म होने पर टूट जाएगा। इसी के साथ ही पृथ्वी का अंत हो जाएगा।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि बारिश के दिनों में जब मंदिर के गुफा में पानी बहुत ज्यादा भर जाता है, तो शिवलिंग अपने आप ऊपर उठ जाता है, जैसे ही पानी कम होता है शिवलिंग वापस अपनी जगह पर विराजमान हो जाता है।
आपको यहां दर्शन करने के लिए पानी के बीच से होकर जाना पड़ता है। गर्मी के दिनों में गुफा का पानी बर्फ के जैसा ठंडा रहता है, तो वहीं ठंड में पानी गर्म रहता है।
हालांकि वैज्ञानिकों के लिए ये अभी भी रहस्य बना हुआ है कि ये मंदिर एक खंभे पर कैसे टिका हुआ है। इस मंदिर को लेकर वैज्ञानिकों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए है। आमतौर पर कोई भी मंदिर एक खंभे पर टिका हुआ नहीं रह सकता है।