Shah Rukh Khan-Lata Mangeshkar: शाहरुख खान ने लताजी पर थूका नहीं था.. इस्लाम में दुआ पढ़ने और फूंकने की जानिए क्या है परंपरा

इस्लामिक नजरिए इस तरीके को समझें तो दुआ का ये तरीका बड़ा ही सामान्य है। हम सभी ने मस्जिदों या दरगाहों पर ऐसी परंपराएं देखी होंगी... जब कोई मां-बाप अपने बच्चे के लिए मुफ्ती या मौलाना से दुआ करा रहे होते हैं... तो वो दुआ करते हैं और फिर बच्चे के ऊपर फूंक मारते हैं.... दरअसल, जब भी कोई मुसलमान श्रद्धा, अकीदत और मुहब्बत के साथ किसी का भला करना चाहता है तो उसे फूंक मारता है।
Shah Rukh Khan-Lata Mangeshkar: शाहरुख खान ने लताजी पर थूका नहीं था.. इस्लाम में  दुआ पढ़ने और फूंकने की जानिए क्या है परंपरा
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इक प्यार का नगमा है.... मौजों की रवानी है.... इसी तरह कई अनगिनत गीतों में लताजी अमर रहेंगी। स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने ये खूबसूरत गीत मनोज कुमार और नंदा की 1972 में आई फिल्म 'शोर' के लिए गाया था। गीतकार संतोष आनंद के लिखे इस गीत में जीवन की गहराई को बेहतरीन अंदाज में बताया गया है। शायद जीवन की इसी तरह को परिभाषित किए जाने की सिचुएशन में शाहरुख खान उस समय रहे होंगे जब वे अपनी प्रिय गायिका स्वर साम्राज्ञी लता मंगेश्वकर को आखिरी सफर पर जाते निहार रहे थे।

6 फरवरी सांय मुंबई के शिवाजी पार्क में देश की नामचीन शख्सियतों का सैलाब नजर आया पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तक, हर कोई लताजी के आगे नतमस्तक था। मृत्यु शैया पर सबकी चहेती लता दीदी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए था और हर कोई उनको निहारते हुए उन्हें गमगीन आंखों से विदाई दे रहा था।

दुआ के लिए उनके दोनों हाथ उठे

बॉलीवुड बादशाह शाहरुख खान जब लताजी को आखिरी सलाम देने पहुंचे तो दुआ के लिए उनके दोनों हाथ उठे। शाहरुख ने खुदा से लताजी की आत्मा की शांति के लिए दुआ की। दुआ पढ़ने के बाद उन्होंने मास्क हटाया और फूंक दी। लताजी के दीदार किए और चरणों को छूकर अपना प्यार और आदर जाहिर किया.... हाथ जोड़कर नमन भी किया... सोशल मीडिया के कई चैनलों पर शाहरुख की इसी फूंक को 'थूकना' बताकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

लताजी को किंग खान का ये आखिरी सलाम भी चर्चा का विषय बन गया। किसी ने तारीफ में कसीदे पढ़े तो वहीं दूसरी ओर किसी ने 'फूंक मारने' को 'थूकना' बताकर एक नई बहस को छेड़ दिया। इस बहस के बीच प्रश्न ये उठता है कि आखिर शाहरुख ने जो किया इस्लाम के लिहाज से उसे क्या कहते हैं?

इस्लाम में आखिर क्या है फूंक मारने की परंपरा?
इस्लामिक परंपरा के अनुसार जब कोई दुआ की जाती है तो उसके लिए दोनों हाथों को उठाकर सीने तक लाया जाता है और अल्लाह से मिन्नतें की जाती हैं... ये ठीक वैसे ही होता है.. जैसे किसी के आगे झोली फैलाकर प्रार्थना की जाती हो... उसी तरह दोनों हाथ एक साथ मिलाकर फैलाए जाते हैं और अल्लाह के सामने अपनी दर्खवास्त रखी जाती है।
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केयर टेकर महेश राठौड़ सदमे में, 27 साल से कर रहे थे Lata Mangeshkar की सेवा, भाई मानती थीं स्वरकोकिला

किसी के लिए स्वस्थ होने की दुआ तो... वहीं... किसी की नौकरी के लिए दुआ... या किसी की आत्मा की शांति के लिए दुआ होती है... ये दुआ कुछ भी हो सकती है। दोनों हाथ फैलाकर दुआ मांगने की तस्वीरें फिल्मों में भी नजर आती हैं। शाहरुख ने लताजी के पार्थिव शरीर के सामने जो किया वो यही था। उन्होंने लता दीदी की रूह को सुकून मिलने की दुआ की होगी... जैसा कि लता मंगेश्कर के लाखों-करोड़ों चाहने वाले कर रहे थे।

जब शाहरुख अपने दोनों हाथ फैलाकर दुआ करते नजर आ रहे थे तब उनके चेहरे पर ब्लैक मास्क था.... करीब 12 सेकंड तक उन्होंने दुआ की और फिर मुंह से मास्क हटाया... मास्क हटाकर वो हल्का सा झुके... और लताजी की पार्थिव शरीर पर फूंक मारी।

इस फूंक मारने को थूकना कहकर इस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। ट्विटर पर बीजेपी के हरियाणा आईटी सेल के इंचार्ज अरुण यादव ने भी वीडियो शेयर करते हुए इस तरीके पर सवाल उठाया था।

इस्लामिक नजरिए इस तरीके को समझें तो दुआ का ये तरीका बड़ा ही सामान्य है। हम सभी ने मस्जिदों या दरगाहों पर ऐसी परंपराएं देखी होंगी... जब कोई मां-बाप अपने बच्चे के लिए मुफ्ती या मौलाना से दुआ करा रहे होते हैं... तो वो दुआ करते हैं और फिर बच्चे के ऊपर फूंक मारते हैं.... ऐसा बड़ों के लिए भी होता है और इसे किया भी जाता है क्योंकि दुआ किसी भी इंसान के लिए की जाती है। तंत्र-मंत्र विद्या में भी फूंक मारने का तरीका अपनाया जाता है।
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कुरान से आयत पढ़कर दम की जाती है फूंक
दरअसल, जब भी कोई मुसलमान श्रद्धा, अकीदत और मुहब्बत के साथ किसी का भला करना चाहता है तो उसे फूंक मारता है। फूंक मारना कोई मुंह से महज़ हवा मारना नहीं है, बल्कि मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र किताब कुरान से पढ़ी जाने वाली आयतें होती हैं जिनकी शिफा पर लोगों को भरोसा होता है।
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